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दिव्यांगता से एहतिशाम ने नहीं मानी हार, नौकरी नहीं मिली तो बच्चों को फ्री में दे रहे शिक्षा

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फर्रुखाबाद। एहतिशाम हैदर जन्मजात दिव्यांग थे, लेकिन उन्होंने जिंदगी में कभी हार नहीं मानी। बेजान हाथों के बावजूद एहतिशाम ने बीएससी और फिर बीटेक किया। तो वहीं अब वो एलएलबी कर रहे है। हालांकि, एहतिशाम ने नौकरियों के लिए साक्षात्कार दिया। मगर दिव्यांगता के चलते कोई नौकरी देने को तैयार नहीं हुआ। इसके बाद भी एहतिशाम ने हार नहीं मानी...वो अब बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाने का काम कर रहे है। बीते लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने बच्चों को शिक्षा दी। इतना ही नहीं, हाथ वालों से बेहतर लिखावट, पेंटिंग के साथ-साथ गायिकी में भी यू-ट्यूब पर धमाल मचा रहे हैं।

Ehtisham did not accept defeat due to disability, did not get a job now giving education to children for free

एहतिशाम हैदर फर्रुखाबाद जिले के कांशीराम कॉलोनी के रहने वाले है। एहतिशाम ने बेजान हाथों के बावजूद पैरों से लिखकर पढाई की है और अब एलएलबी कर रहे हैं। एहतिशाम का कहना है कि कई जगह नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया। मगर दिव्यांगता के चलते नौकरी देने को तैयार नहीं है। वन अधिकारी के लिए भी चार साल पहले आवदेन किया था, पर उसमें नंबर नहीं आया। फिर एक दिन कांशीराम कॉलोनी के बच्चों को इधर-उधर घूमते-हुड़दंग करते और नशा-पत्ती करते देखा तो उन्हें रहा नहीं गया।

उन्होंने उन बच्चों के मां-बाप को बुलाया और उनसे बच्चों को पढ़ाने के लिए प्रेरित किया। मगर सभी ने रुपए-पैसे न होने पर इनकार कर दिया। तब एहतिशाम ने कहा, हम इन बच्चों को फ्री में पढ़ाएंगे। आठ साल से उनकी क्लास नियमित चल रही है। सात वर्ष पहले एहतिशाम के पिता इस्लाम अहमद का इंतकाल हो चुका है। वह वैद्य थे। मां कुबरा बेगम कम पढ़ी-लिखी हैं। बहन गजाला तबस्सुम पर अचानक पूरे परिवार का भार आ गया। तब एहतिशाम ने गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाने के साथ 9वीं से 12वीं तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, ताकि घर-खर्च चलने में दिक्कत न आए।

चित्रकारी-गायन का भी शौक, मिले कई सम्मान
इस समय वह 25 बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनके पढ़ाए तमाम झोपड़-पट्टी के बच्चे हाईस्कूल-इंटर में प्रथम श्रेणी में पास हो चुके हैं। कूड़ा बीनने और मेहनत-मजदूरी करने वालों के घरों में शिक्षा की लौ जलाने वाले एहतिशाम को हर कोई जीभर के दुआएं देता है। एहतिशाम जब अपने खराब पैरों की उंगलियों से चित्रकारी करते हैं तो लोग हैरत में पड़ जाते हैं। वह आज भी दिन में एक-दो बार कोई न कोई चित्र अवश्य बनाते हैं। इसके साथ ही वह गायन के भी शौकीन हैं। यू-ट्यूब पर उनके बनाए गाने भी छाए रहे हैं। एहतिशाम के हौसले को देखते हुए तत्कालीन राज्यपाल राम नाइक भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न संस्थाओं की ओर से भी सम्मान पत्र मिले हैं।

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English summary
Ehtisham Haider did not accept defeat due to disability, now giving education to children for free
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