लॉकडाउन: बेजुबानों पर भी टूटने लगा कोरोना वायरस का कहर, भूख-प्यास से बंदरों ने तोड़ा दम
फरीदाबाद। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से सबसे ज्यादा मुसीबत उन जानवरों के लिए हो गई है, जो भूख मिटाने के लिए हम इंसानों पर आश्रित रहते हैं। बता दें कि लॉकडाउन की वजह लोग घरों में कैद हो गए, जिसकी वजह से बेजुबान जानवरों को खाना मिलना बंद हो गया। फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर ऐसे ही भूख से तड़पकर चार बंदरों की मौत हो गई। इन्हें पास की एक कॉलोनी में रहने वाले हिंदू और मुस्लिम युवकों ने पूरे विधि विधान के साथ दफनाया है। ऐसा करके दोनों समाज के लोगों ने आपसी सौहार्द और भाईचारे का भी संदेश दिया है।
फरीदाबाद रेलवे स्टेशन पर हमेशा बंदरों की फौज घूमती रहती है। यात्री इन्हें खाने-पीने की वस्तुएं देते रहते हैं। कई बार बंदर यात्रियों के हाथों से भी सामान छीनकर ले जाते हैं। देश में कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन है, जिससे ट्रेनों का संचालन भी बंद है। इससे स्टेशन पर यात्रियों की बिल्कुल भी आवाजाही नहीं है। ऐसे में बंदर भूख-प्यास से मरने लगे हैं। बुधवार को स्टेशन परिसर में अलग-अलग जगह 4 बंदर मृत अवस्था में मिले। इनके बारे में गांधी कॉलोनी निवासी कदीर कुरैशी को पता चला।
कदीर ने अपने साथी फरियाद, शाहरुख, कन्हैया, बाबू और संजय को बुलाकर चारों बंदरों को दफनाया। खास बात तो यह थी कि गड्ढा खोदने के बाद बंदरों के शवों को कपड़े में लपेटा और फिर ऊपर से नमक रखा गया। इसके बाद इन युवाओं ने 20 दर्जन केले खरीदकर स्टेशन एरिया में घूम रहे बंदरों को खिलाए। कदीर ने बताया कि कोरोना वायरस को लेकर जहां देश में भय का माहौल है, वहीं मृत बंदरों को दफनाना जरूरी था। नहीं तो उनके शव सड़ने से कोई वायरस फैल सकता था जो कोई नई मुसीबत पैदा कर सकता था। यात्रियों के न आने से स्टेशन पर बंदरों की संख्या भी कम हो रही है।
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