अयोध्या: राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने पर दो खेमों में बंटी VHP
अयोध्या। देश के सबसे चर्चित मामलों में से एक अयोध्या भूमि विवाद पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला विराजमान को देने के अलावा मुस्लिम पक्ष को मस्जिद के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने का फैसला सुनाया। राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट निर्णय के बावजूद राम जन्मभूमि न्यास विश्व हिंदू परिषद (विहिप) बुधवार को दो खेमों में बंटी नजर आई।
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नया
ट्रस्ट
बनाने
की
आवश्यकता
नहीं
दरअसल,
सुप्रीम
कोर्ट
ने
9
नवंबर
को
फैसला
दिया
था
कि
केंद्र
मंदिर
निर्माण
के
लिए
ट्रस्ट
का
निर्माण
करे।
केंद्र
ने
इसके
लिए
प्रक्रिया
शुरू
कर
दी
है।
वहीं,
श्रीराम
जन्मभूमि
न्यास
के
अध्यक्ष
महंत
नृत्य
गोपाल
दास
ने
कहा
कि
सरकार
को
कोई
नया
ट्रस्ट
बनाने
की
आवश्यकता
नहीं
है।
राम
मंदिर
निर्माण
के
लिए
पहले
से
ही
श्रीराम
जन्म
न्यास
बना
है।
हम
इसे
नया
आकार
दे
सकते
हैं
और
आवश्यकता
के
लिहाज
से
इसमें
नए
सदस्यों
को
शामिल
किया
जा
सकता
है।
लोगों
ने
दी
अलग-अलग
राय
हालांकि,
राम
मंदिर
आंदोलन
से
जुड़े
लोगों
की
इस
पर
अलग-अलग
राय
है।
दिगंबर
अखाड़ा
के
महंत
सुरेश
दास
ने
कहा
कि
जब
सुप्रीम
कोर्ट
ने
स्पष्ट
कहा
है
कि
नया
ट्रस्ट
बनाया
जाए।
केंद्र
सरकार
की
यह
जिम्मेदारी
है
कि
वह
ट्रस्ट
बनाए।
राम
जन्मभूमि
न्यास
से
इसका
गठन
न
किया
जाए,
बल्कि
न्यास
के
लोगों
का
नए
ट्रस्ट
में
प्रतिनिधित्व
हो।
वहीं,
निर्मोही
अखाड़ा
के
प्रमुख
महंत
दिनेंद्र
दास
ने
कहा-
कोर्ट
के
आदेश
के
अनुसार
ट्रस्ट
का
गठन
किया
जाना
चाहिए।
निर्मोही
अखाड़ा
खुद
एक
ट्रस्ट
है,
इसलिए
इसके
सदस्य
ही
फैसला
करेंगे
कि
सरकार
के
ट्रस्ट
में
शामिल
होना
है
या
फिर
नहीं।
रामालय
ट्रस्ट
का
दावा
खारिज
हुआ
तो
कोर्ट
जाएंगे
रामालय
ट्रस्ट
के
सचिव
स्वामी
अविमुक्तेश्वरानंद
ने
कहा
कि
रामालय
ट्रस्ट
पहले
से
मौजूद
है।
सरकार
का
काम
मंदिर-मस्जिद
बनाना
नहीं
है।
मंदिर
बनाने
के
लिए
हम
बृहस्पतिवार
को
केंद्र
सरकार
के
समक्ष
अपने
ट्रस्ट
का
दावा
प्रस्तुत
करेंगे।
यदि
सरकार
इसे
खारिज
करती
है
तो
हम
कोर्ट
जाएंगे।
हमारी
पहुंच
में
होनी
चाहिए
मस्जिद
मुस्लिम
पक्षकार
इकबाल
अंसारी
ने
कहा
कि
सुप्रीम
कोर्ट
ने
आदेश
दिया
है
कि
अयोध्या
में
प्रमुख
जगह
पर
मस्जिद
के
लिए
जमीन
दी
जाए,
यह
जमीन
हमारी
पहुंच
में
होनी
चाहिए।
अयोध्या
से
बाहर
मस्जिद
बनने
का
औचित्य
नहीं
है।
हम
सुप्रीम
कोर्ट
और
सरकार
की
बात
मानेंगे,
वह
सांस्कृतिक
सीमा
के
भीतर
जमीन
दे
या
बाहर।