अयोध्या में श्रीराम की सबसे ऊंची मूर्ति बनने की राह में रोड़े, जमीन अधिग्रहण करने गई टीम बैरंग लौटी
अयोध्या। राम नगरी में में विश्व की सबसे ऊंची 221 मीटर की भगवान श्रीराम की विशालकाय मूर्ति स्थापित करने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से भूमि के अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी तो कर दिया गया है, लेकिन अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगता नजर आ रहा है। बुधवार को भगवान श्री राम की मूर्ति के लिए जमीन अधिग्रहण करने गई जिला प्रशासन की टीम को स्थानीय लोगों ने वापस कर दिया।
जमीन अधिग्रहण के लिए पैमाइश करने गई थी टीम
जिला प्रशासन की टीम विश्व की सबसे ऊंची भगवान श्री राम की प्रतिमा के लिए जमीन अधिग्रहण के लिए पैमाइश करने गई थी। पर्यटन विभाग ने अयोध्या में सरयू किनारे भगवान श्रीराम की 221 मीटर ऊंची मूर्ति लगाने के लिए 200 करोड़ का बजट प्रस्ताव कर दिया है। प्रस्तावित मूर्ति की स्थापना के लिए करीब 222 लोगों की 265 गाटा संख्या से 28.2864 हेक्टेयर भूमि क्रय की जानी है। सर्किल रेट के हिसाब से जमीन की कीमत 38 करोड़ 6 लाख आंकी गई है, लेकिन नियमानुसार ग्रामीण क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से चार गुना और शहरी क्षेत्र की भूमि का मुआवजा सर्किल रेट से दोगुना देने की व्यवस्था है।
सरकार के मुआवजे स संतुष्ट नहीं हैं ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण सरकार की मुआवजे से संतुष्ट नहीं है और वह अब जिलाधिकारी अयोध्या से मिलकर अपनी बात रखने वाले हैं। लोगों का कहना है कि सरकार उन्हें जमीन का उचित मुआवजा नहीं दे रही है। लोगों की मांग है कि उचित मुआवजा के साथ-साथ इसकी जगह अलग फ्री में जमीन और जिनके मकान है उसकी जगह उन्हें प्रथम श्रेणी के मकान दिए जाएं, इसमें सरयू किनारे 222 लोगों की 28.2864 हेक्टयर भूमि ली जानी है। इसमें 66 भवन व 5 मदिरों के अधिग्रहण का भी प्रस्ताव है।
भूस्वामी को 20 जून तक पक्ष रखने का समय
दरअसल, भगवान श्रीराम की मूर्ति के लिए अधिग्रहण की कार्रवाई शुरू होनी है। कुल 28.2864 हेक्टयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। जमीन क्रय करने का नोटीफिकेशन जारी कर दिया गया है। भूस्वामी को 20 जून तक कागजात के साथ अपना पक्ष रखने का समय दिया गया है।