अयोध्या: 'गुमनामी बाबा' की 122वीं जयंती में शामिल हुईं नेताजी की रिश्तेदार राजश्री
Ayodhya news, अयोध्या। आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेता जी सुभाष चंद्र बोस की आज 122वीं जयंती मनाई जा रही है। अयोध्या में इसका खास महत्व तब बढ़ जाता है जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम गुमनामी बाबा के साथ जुड़ जाता है। माना जाता है कि अयोध्या के राम भवन में रह रहे गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के मौके पर कोलकाता से आई उनकी प्रपौत्री राजश्री ने भी भाग लिया।
प्रतिमा पर माल्यार्पण
कार्यक्रम का आयोजन नेताजी सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय विचार मंच ने किया। राष्ट्रीय विचार मंच ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को राष्ट्रीय पुरुष घोषित करने की भी मांग की है। शहर के चौक घंटाघर से नेताजी सुभाष चंद्र बोस सम्मान मार्च निकाला गया जो शहर के मुख्य मार्ग से होते हुए नगर निगम परिसर पहुंचा जहां पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया गया।
क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?
राम भवन में रहे गुमनामी बाबा के जानकारों की अगर मानें तो गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे। रामभवन के मालिक शक्ति सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी जिसके बाद कई आयोग का गठन हुआ और जांच भी की गई। राम भवन से जो सामान मिले वो नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तरफ इशारा करते हैं। राम भवन से मिले सामानों को अयोध्या के रामकथा संग्रहालय में रखा गया है और इस म्यूजियम का जल्द ही उद्घाटन भी होना है।
अभी भी सवाल का जवाब नहीं
गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे, इसकी जांच कई आयोग ने भी की और अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई कि क्या गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे? राम भवन में रह रहे गुमनामी बाबा का निधन 1985 में हुआ था जबकि माना जाता है कि एक हवाई दुर्घटना में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का निधन 1921 में ही हो चुका था। अभी इस रहस्य से पर्दा उठना बाकी है कि क्या वाकई गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे?
ये भी पढ़ें- NIA की टीम ने गोंडा में की छापेमारी, मौलान का लैपटॉप किया जब्त