अयोध्या: राम मंदिर निर्माण का जिम्मा L&T कंपनी को मिलने की चर्चा, अंबानी-बिड़ला को दे चुकी है मात
अयोध्या. उत्तर प्रदेश में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी को लेकर कंपनी के चयन पर बात चल रही है। अब तक हुईं चर्चाओं में लार्सन एंड टुब्रो ( L&T) कंपनी का नाम आगे आ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 'लार्सन एंड टुब्रो' और अयोध्या श्रीराम तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के बीच औपचारिक सहमति बनी है। राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा शनिवार को चयनित स्थान का निरीक्षण करने पहुंचे हैं। वहीं, कंपनी चयन के मामले में अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
मंदिर
के
मॉडल
से
लेकर
समयावधि
पर
मीटिंग
अयोध्या
में
शनिवार
को
बड़ी
बैठक
बुलाई
गई
है,
जिसमें
राम
मंदिर
तीर्थ
क्षेत्र
ट्रस्ट
के
सदस्यों
के
साथ-साथ
अध्यक्ष
नृत्य
गोपाल
दास
भी
शामिल
होंगे।
इस
बैठक
में
राम
मंदिर
के
निर्माण
की
पूरी
कार्ययोजना
पर
चर्चा
होगी।
साथ
ही
मंदिर
मॉडल
से
लेकर
समयावधि
पर
भी
ट्रस्ट
के
सदस्यों
की
राय
ली
जाएंगी।
साथ
ही
यह
भी
चर्चा
होंगी
कि,
राम
मंदिर
के
लिए
भूमि
पूजन
2
अप्रैल
को
रामनवमी
के
दिन
का
मुहूर्त
तय
किया
जाए
या
अक्षय
तृतीया
के
दिन।
हालांकि,
अयोध्यावासियों
के
साथ-साथ
ट्रस्ट
के
सदस्यों
की
आम
राय
हैं
कि
मंदिर
के
लिए
पूजन
पीएम
के
हाथों
से
ही
करवाया
जाए,
जिसके
लिए
पिछले
दिनों
ट्रस्ट
के
सदस्यों
ने
पीएम
मोदी
को
न्योता
भी
दिया
था।
ऐसे
में
मीटिंग
के
बाद
ही
पक्की
जानकारी
मिल
पाएगी।
अंबानी-बिड़ला
को
मात
दे
चुके
हैं
एलएंडटी
के
चेयरमैन
देश
में
इंजीनियरिंग
क्षेत्र
की
दिग्गज
कंपनी
लार्सन
एंड
टुब्रो
(एलएंडटी)
आर्थिक
चुनौतियों
का
सामना
करने
के
बावजूद
हजारों
कर्मचारी
रखती
है।
यह
भारत
की
एक
बहुराष्ट्रीय
कंपनी
है।
इसका
मुख्यालय
मुम्बई
में
है।
एलएंडटी
के
चीफ
फाइनेंशियल
ऑफिसर
आर.
शंकर
रमन
के
मुताबिक,
कंपनी
में
नवंबर
2016
की
दरम्यान
1.2
लाख
कार्मचारी
थे।
वहीं,
चेयरमैन
एएम
नाइक
को
2019
के
गणतंत्र
दिवस
पर
पद्म
पुरस्कार
से
सम्मानित
करने
की
घोषणा
की
जा
चुकी
है।
यह
ऐसी
कंपनी
है,
जो
अंबानी-बिड़ला
पर
भी
भारी
पड़
गई
थी।
इस
बात
का
जिक्र
एएम
नाइक
की
जीवनी-
'दि
नेशनलिस्ट'
में
किया
गया
है,
जो
2017
में
प्रकाशित
हुई
थी।
मिनहाज
मर्चेंट
की
इस
किताब
में
बताया
गया
कि
अंबानी
और
बिड़ला
एलएंडटी
का
अधिग्रहण
करना
चाहते
थे।
ऐसे
में
नाइक
ने
सभी
कर्मचारियों
को
कंपनी
का
मालिक
बनाने
का
निर्णय
लिया।
महीनों
तक
चर्चा
चली
और
अंत
में
एलएंडटी
के
कर्मचारियों
के
ट्रस्ट
ने
बिड़ला
की
पूरी
हिस्सेदारी
खरीद
ली।
ऐसे
ही
एक
समय
में
एलएंडटी
में
अंबानी
की
स्थिति
बहुत
मजबूत
हो
गई
थी
और
तय
था
कि
अंबानी
कंपनी
का
अधिग्रहण
कर
लेंगे,
लेकिन
ऐसा
हो
न
सका।
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