सैफई मेडिकल कॉलेज रैगिंग मामले में एफआईआर के खिलाफ छात्रों का विरोध प्रदर्शन
इटावा। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी में विवादों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मेडिकल यूनिवर्सिटी में अब रैगिंग के मामले में छात्रों पर एफआईआर होने के बाद सूचना मिलते ही छात्रों ने वीसी के कार्यालय पहुंचकर इसका विरोध शुरू कर दिया है। मेडिकल छात्रों के अध्यक्ष ने वीसी से इस मामले पर बात की है लेकिन, अभी एफआईआर पर रोक लगाने जैसा कोई निर्णय नहीं लिया गया। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने संस्थान से सवाल किया है कि प्रति छात्र के हिसाब से एक लाख रुपए का जुर्माना क्यों न लगाया जाए, यानी 150 छात्रों के 1 करोड़ 50 लाख। साथ ही इस रकम की वसूली विश्वविद्यालय से ही किए जाने की बात भी कही गई है।
सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में जूनियर छात्रों के साथ रेगिंग करने का मामला एमसीआई के दखल के बाद बैकफुट पर आए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 7 सीनियर छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए मेडिकल डीन डॉ. पीके जैन ने बताया कि छात्रावास के डीन कल्बे जब्बाद को कार्यमुक्त किया गया है। एंटी रेगिंग कमेटी भंग करने के साथ-साथ शाक्य मुनि छात्रावास में तैनात सभी वार्डन को निलंबित कर सभी सुरक्षाकर्मियों को बर्खास्त किया गया। सात छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने के लिए कार्रवाई चल रही है। उसके साथ-साथ 2018 बैच के सभी 150 सीनियर छात्रों से 5-5 हजार रुपये अर्थदंड वसूलने का फरमान सुनाया। अब नया विवाद और शुरू हो गया। यूनिवर्सिटी छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने की बात सुनते ही सीनियर छात्र यूनिवर्सिटी प्रशासन के विरोध में उतर आए हैं।
जब इस पूरे मामले में छात्रों से बात की गई तो जिन 7 छात्रों के नाम सामने आये हैं। उन्होंने मीडिया के सामने आने से इनकार कर दिया लेकिन अन्य छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यायल प्रसाशन की यह कार्रवाई बेबुनियाद है। एमसीआई के दखल के बाद विश्विद्यालय प्रसाशन अपनी गलतियां छात्रों पर मढ़ रहे है। जो निर्दोष छात्र हैं, अगर उनके खिलाफ एफआईआर की गई तो हम सब मिलकर विरोध करते रहेंगे।
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के कैंपस में रैगिंग को दो दिन तक नकारने के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने गुरुवार को सच्चाई कबूल ली है। एंटी रैगिंग कमेटी की गुरुवार देर शाम कुलपति प्रो. राजकुमार को मिली रिपोर्ट में वर्ष 2018 बैच के सात छात्रों को दोषी माना है। कमेटी ने दोषी छात्रों पर 25 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाने व एक माह तक छात्रावास और कक्षाओं से प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है।
यूनिवर्सिटी कैंपस में जूनियर छात्रों से रैगिंग की बात को पहले कुलपति ने सिर मुड़वाने को संस्कार करार दिया था लेकिन, सच्चाई तब कबूली गई जब डीएम ने अपनी जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय को दोषी मानते हुए रैगिंग होने संबंधी रिपोर्ट चिकित्सा विभाग के प्रमुख सचिव को भेज दी। वहीं, सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में रैगिंग को लेकर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने भी यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी करते हुए 24 घंटे में जवाब मांगा है। पूछा है, क्यों न यूनिवर्सिटी पर 1.50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाते हुए दोषी छात्रों को एक माह के लिए निलंबित कर दें।
कुलपति
प्रो.
राजकुमार
ने
एंटी
रैगिंग
कमेटी
के
अध्यक्ष
डॉ.
राजेश
वर्मा,
डॉ.
अलका
पाठक,
डॉ.
नरेश
पाल
सिंह,
डॉ.
दुर्गेश
कुमार,
डॉ.
नंद
किशोर
गुप्ता,
मिथलेश
दीक्षित,
नवीन
दीपांशी
महेश्वरी,
हरिओम
गुप्ता
व
अनन्या
की
मौजूदगी
में
सात
छात्रों
को
दोषी
माना
है।
इनमें
अभिषेक
राणा,
अभिषेक
सिंह,
रीतेष
सिंह,
रूसल
नागर,
वैभव
सिंह,
रंजीत
कुमार
व
प्रतीक
सिंह
शामिल
हैं।
जांच
कमेटी
ने
वर्ष
2019
के
प्रथम
वर्ष
के
छात्रों
के
बयान
लिए।
105
छात्र
व
55
छात्राओं
ने
रैगिंग
की
घटना
से
इन्कार
किया
और
स्वेच्छा
से
सिर
मुड़वाने
की
बात
कही।
कैंपस
में
मुंडन
या
रैगिंग
से
इन्होंने
इन्कार
किया।
वहीं,
पांच
छात्रों
व
चार
छात्राओं
ने
सीनियर
के
रैगिंग
करने
की
बात
कही
है।
इसमें
से
एक
छात्र
ने
पांच
सीनियर
छात्रों
के
नाम
भी
वाट्सएप
पर
एंटी
रैगिंग
कमेटी
को
भेजे
थे।
कुलपति
प्रो.
राजकुमार
ने
बताया
कि
कमेटी
की
रिपोर्ट
पर
कार्रवाई
की
जा
रही
है।
जांच
कमेटी
ने
नकार
दी
थी
रैगिंग
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ. रमाकांत यादव, डीन डॉ. पीके जैन, डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ. कल्वे जव्वाद, वार्डन डॉ. गणेश कुमार की कमेटी ने रैगिंग से इनकारर किया था। हालांकि, विस्तृत जांच एंटी रैगिंग कमेटी से कराने की सिफारिश की थी। कुलपति ने यह जांच तब बैठाई थी जब 150 जूनियर छात्रों का सिर मुंडवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया। वहीं, अब एमसीआइ के सेक्रेटरी जनरल डॉ. आरके वत्स ने भी यूनिवर्सिटी को नोटिस देते हुए पूछा है कि क्यों न रैगिंग रोकने के लिए बनाए गए एक्ट के तहत विश्वविद्यालय पर कार्रवाई हो और सीनियर छात्रों को एक माह के लिए सस्पेंड कर दिया जाए? 24 घंटे में इसका जवाब देना है। इसे लेकर बुधवार को कई बैठकें हुईं। कुलपति ने कहा नोटिस का जवाब दे रहे हैं।
डीएम
की
जांच
में
विश्वविद्यालय
प्रशासन
दोषी
डीएम
जेबी
सिंह
ने
एसडीएम
सत्यप्रकाश
मिश्रा
व
सीओ
मस्सा
सिंह
की
कमेटी
से
जांच
कराई
तो
विश्वविद्यालय
प्रशासन
दोषी
निकला।
डीएम
ने
प्रमुख
सचिव
चिकित्सा
शिक्षा
को
भेजी
रिपोर्ट
में
कहा
है
कि
विश्वविद्यालय
प्रशासन
ने
मामले
को
गंभीरता
से
नहीं
लिया
और
इसे
छुपाने
का
प्रयास
किया।
एंटी
रैगिंग
सेल
ने
कार्रवाई
नहीं
की
है।
हालांकि
छात्रों
ने
खुलकर
शिकायत
नहीं
की,
क्योंकि
उन्हें
यहीं
पढ़ना
है
फिर
भी,
जिस
तरीके
से
सामूहिक
रूप
से
150
छात्रों
के
सिर
मुड़वाए
गए
हैं,
उससे
रैगिंग
साफ
तौर
पर
प्रतीत
होती
है।
फैक्ट
फाइंडिंग
कमेटी
करेगी
जांच
उत्तर
प्रदेश
आयुर्विज्ञान
विश्वविद्यालय
सैफई
में
रैगिंग
के
मामले
को
लेकर
शासन
ने
जिलाधिकारी
को
फैक्ट
फाइंडिंग
कमेटी
गठित
कर
जांच
कराने
के
निर्देश
दिए
हैं।
जिलाधिकारी
जेबी
सिंह
ने
बताया
कि
इस
कमेटी
में
सीडीओ
राजा
गणपति
आर,
एडीएम
ज्ञान
प्रकाश
श्रीवास्तव,
एडीशनल
एसपी
ओमवीर
सिंह,
जिला
विद्यालय
निरीक्षण
राजू
राणा
को
रखा
जा
रहा
है।
इस
कमेटी
को
बुधवार
तक
अपनी
रिपोर्ट
देनी
है।
माना
जा
रहा
है
कि
कई
जांचों
को
दरकिनार
करते
हुए
शासन
ने
नए
सिरे
से
वरिष्ठ
अधिकारियों
की
देखरेख
में
जांच
कराने
के
निर्देश
जारी
किए
हैं।
यह
था
मामला
सैफई
आयुर्विज्ञान
विश्वविद्यालय
में
इस
बार
प्रथम
वर्ष
में
200
छात्र-छात्राओं
ने
प्रवेश
लिया।
इनकी
रैगिंग
रोकने
के
लिए
हॉस्टल
से
लेकर
कक्षाओं
तक
कड़ी
सुरक्षा
के
इंतजाम
करने
का
दावा
यूनिवर्सिटी
प्रशासन
द्वारा
किया
गया।
बावजूद
इसके
सीनियर्स
का
आदेश
हॉस्टलों
तक
पहुंच
गया,
जिसमें
उन्हें
हॉस्टल
से
कॉलेज
आने
जाने
के
दौरान
सिर
झुकाकर
लाइन
में
लगकर
चलने
का
फरमान
सुनाया
गया।
कैंपस
से
निकलते
समय
इन
छात्रों
को
एप्रेन
के
थर्ड
बटन
तक
सीनियर्स
के
सामने
सिर
झुकाने
को
कहा
गया।
छात्रों
के
अनुसार
रैगिंग
पिछले
छह
दिनों
से
चल
रही
है।
इसमें
छात्राओं
को
भी
नहीं
बख्शा
गया।
उनको
भी
चोटी
बांधने
के
निर्देश
दिए
गए।
बताया
गया
है
कि
सलाम
न
करने
पर
बीते
दिनों
अवकाश
के
दौरान
ही
सभी
छात्रों
का
सिर
मुड़वा
दिए
था।
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