इटावा के अबु के दोनों हाथ नहीं, पैरों से करता है सारे काम, दिव्यांगता को दी मात
इटावा। 13 साल के अबु हमजा की जिंदगी पर बिजली तब गिरी जब वह पांच साल का था। चाचा के घर खेलने गए अबु खेलते-खेलते करंट की चपेट में आ गया। उसकी जान तो बच गई लेकिन उसको दोनों हाथ गंवाने पड़े।
दिव्यांगता के बावजूद अबु ने पैरों के सहारे लिखना सीखा, कीबोर्ड चलाना सीखा और जिंदगी के कई काम वह सामान्य बच्चों की तरह करता है। उसकी मेहनत को देखते हुए स्कूल प्रबंधन ने इंटरमीडिएट तक उसे बिना शुल्क लिए पढ़ाने का फैसला किया है।
बेटे
को
पिता
ने
दिया
हौसला
पांच
साल
की
उम्र
में
जब
बेटा
हादसे
का
शिकार
हुआ
और
उसके
दोनों
हाथ
नहीं
रहे
तो
पिता
लइकउद्दीन
ने
हिम्मत
नहीं
हारी।
जयपुर
के
अस्पताल
में
अबु
के
इलाज
के
बाद
वे
उसे
लेकर
इटावा
लौटे।
वहां
जब
अबु
स्कूल
जाने
की
हालत
में
हो
गया
तो
उसे
लेकर
रॉ़यल
ऑक्सफोर्ड
इंटर
कॉलेज
पहुंचे।
उन्होंने स्कूल प्रिंसिपल से कहा कि अबु सामान्य बच्चों के साथ पढ़े। इस पर प्रिंसिपल ने सुझाव दिया कि अबु पहले पैरों से लिखना सीखे। इसके बाद पिता ने अबु के पैरों में कलम थमा दी।
अबु
ने
पैरों
से
काम
करना
सीखा
अबु
ने
पैरों
से
लिखना
शुरू
किया
और
दो
महीने
में
ही
वो
इसमें
माहिर
हो
गया।
अबु
अब
सातवीं
क्लास
में
पहुंच
चुका
है
और
वो
आगे
चलकर
कंप्यूटर
इंजीनियर
बनना
चाहता
है।
अबु
के
दोनों
हाथ
नहीं
नहीं
है
लेकिन
वो
अन्य
बच्चों
की
तरह
साइकिल
से
स्कूल
आता
जाता
है।
वह कंप्यूटर लैब में कीबोर्ड भी दोनों पैरों की मदद से चलाता है। अबु के माता-पिता और भाई उसका बहुत सहयोग करते हैं। स्कूल में उसके दोस्त भी मदद करते हैं। स्कूल में लंच ब्रेक में अबु को दोस्त ऋषभ खाना खिलाता है।
बड़े
भाई
ने
डिजाइन
की
साइकिल
अबु
जिस
साइकिल
को
चलाकर
स्कूल
जाता
है,
उसकी
डिजाइन
उसके
भाई
ने
तैयार
की
है।
साइकिल
के
पैडल
के
पास
ही
ब्रेक
है।
हैंडल
पर
स्टेयरिंग
लगाया
गया
है
जिसको
अबु
अपने
सीने
से
कंट्रोल
करता
है
और
साइकिल
को
जिधर
जाना
हो
उधर
मोड़ता
है।
अबु के पिता ट्रांसपोर्टर का काम करते हैं। अबु पिता और भाई के काम में हाथ भी बंटाता है। स्कूल ने अबु के हौसले को देखते हुए उसकी फीस माफ कर दी है और उसको इंटरमीडिएट तक बिना शुल्क लिए पढ़ाने का फैसला लिया है।