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बोले गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना-'अंग्रेजी हमें कार तो दे सकती है लेकिन हिंदी हमें संस्कार देती है', Exclusive

By अंकुर शर्मा
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बेंगलुरु,19 नवंबर Exclusive। 'अंग्रेजी हमें कार तो दे सकती है लेकिन हिंदी हमें संस्कार देगी, अगर हमें संस्कारों के साथ जीना है तो हमें इस बारे में सोचना होगा। भारत संस्कारों का देश है, यहां संस्कारों पर त्योहार होते हैं, यहां संस्कारों पर गीत लिखे जाते हैं, अगर हम संस्कार को खत्म कर देंगे तो हमारा शहर खत्म हो जाएगा, शहर खत्म हो जाएगा तो हमारा प्रदेश खत्म हो जाएगा और हमारा प्रदेश अगर खत्म हो जाएगा तो हमारा देश खत्म हो जाएगा और फिर इस देश में कुछ नहीं बचेगा इसलिए देश में इस वक्त हिंदी से लोगों को जुड़ना बहुत जरूरी है, खासकर के हमारे बच्चों और युवा पीढ़ी को' ये कहना हमारा नहीं बल्कि ये कहना है 'यशभारती' से सम्मानित और 'गीतों के राजकुमार' से लोकप्रिय मशहूर गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना का, जिन्होंने ये बात वनइंडियाहिंदी फेसबुक लाइव कार्यक्रम में कही।

बोले गीतकार डॉ विष्णु सक्सेना-अंग्रेजी हमें कार तो दे ...

अपने सुरीले गीतों से लोगों के दिलों को लुभाने वाले लोकप्रिय कवि ने लाइव चैट के दौरान अपने बारे में कुछ खास बातें भी शेयर की। डॉ विष्णु सक्सेना ने कहा कि 'देश में एक दौर चलता था, कभी नफरत का दौर था, कभी प्रेम का दौर था, आज पतन का दौर है, आज हर चीज का पतन हो रहा है, चाहे वो पतन सामाजिक हो, चाहे वो पतन देश का हो या फिर परिवार या रिश्ते का इसलिए लोगों को इस बारे में सोचने की जरूरत है।'

यहां देखें डॉ विष्णु सक्सेना से Exclusive बातचीत

कविता के मंच पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाले डॉ विष्णु सक्सेना ने कहा कि 'आधुनिकता के चलते इंसान का बदलना स्वाभाविक है और वो जरूरी भी है लेकिन बच्चों को साहित्य से जोड़ना भी काफी जरूरी है क्योंकि आज Convent कल्चर के चलते बच्चे 'कबीरदास' और 'सूरदास' को भूलते जा रहे हैं, जो कि सही नहीं है, इसलिए इस बारे में भी सोचना आवश्यक है।' लाइव चैट के दौरान डॉ विष्णु सक्सेना ने दर्शकों की फरमाइश पर अपने मधुर गीतों से भी लोगों को आनंदित किया।

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आपको बता दें डॉ विष्णु सक्सेना वर्तमान पीढ़ी के ऐसे कवि-गीतकार हैं जिनके प्रेम गीत सीधा दिलों पर दस्तक देते हैं। उनकी लोकप्रियता का आलम ये है कि आज उनके बिना कोई भी कवि सम्मेलन पूरा नहीं होता है। उदयपुर से विशेष लगाव रखने वाले डॉ विष्णु सक्सेना बहुत जल्द 'गीता' को छंद के रूप में पेश करने वाले हैं। अपने ऊपर जगतपिता की विशेष कृपा मानने वाले डॉ. विष्णु सक्सेना का खुद के बारे में जो मानना है वो उन्होंने निम्नलिखित पंक्तियों में व्यक्त किया है।

'तपती हुई जमीं है जलघर बांटता हूं
पतझड़ के रास्तों में मैं बहार बांटता हूं
ये आग का दरिया है जीना भी बहुत मुश्किल
नफरत के दौर मे भी मैं प्यार बांटता हूं'

Comments
English summary
English can give us car but Hindi will give us culture said Yash Bharti’ Awardee and Poet-lyricist Dr. Vishnu Saxena. this is exclusive report. here is video, please have a look.
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