पांच राज्यों के चुनावी अखाड़े में किसका है किससे मुकाबला ?
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और केन्द्र शासित प्रदेश पुदुचेरी में चुनाव की तारीखों का एलान हो गया। इन पांच राज्यों में से सिर्फ असम में भाजपा की सरकार है। पश्चिम बंगाल में भाजपा की लड़ाई सत्तारुढ़ ममता बनर्जी से हैं। इसलिए भाजपा ने इन दोनों राज्यों में पूरा जोर लगा रखा है। केरल में वामपंथी गठबंधन की सरकार है। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक की सरकार है। पुदुचेरी में हाल तक कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन कांग्रेस के कई विधायकों के पार्टी छोड़ने से मुख्यमंत्री नारायण सामी को इस्तीफा देना पड़ा। अब यहां राष्ट्रपति शासन है। इन तीनों राज्यों कांग्रेस एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी है इसलिए वह यहां पूरे दमखम से लड़ रही है। वैसे भाजपा केरल में मेट्रोमैन ई श्रीधरन, इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर के जरिये नयी संभावनाएं तलाश रही है।
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असम - कुल सीटें 126, बहुमत-64
2016 के चुनाव में किसी दल को यहां बहुमत नहीं मिला था। विधानसभा की 126 सीटों में से भाजपा 61 पर आ कर ही ठहर गयी थी। उसे बहुमत से तीन सीटें कम मिली थी। भाजपा ने अपने सहयोगी असम गण परिषद के 14 और बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के 12 विधायकों के समर्थन से सरकार बनायी थी। भाजपा के सर्वानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री बने। 2021 में भाजपा गठबंधन को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों के साथ तालमेल किया है। नागरिकता कानून संशोधन कानून भाजपा के लिए अहम होगा। यहां के हिंदू लोगों को लगता है कि इस कानून के लागू होने से बांग्लादेश से आने वाले हिंदू यहां के नागरिक हो जाएंगे जिससे उनके लिए मौके कम हो जाएंगे। यह मुद्दा भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल में फायदेमंद हो सकता है तो असम में नुकासन भी पहुंचा सकता है।
पश्चिम बंगाल- कुल सीटें 294, बहुमत- 148
2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटें मिली थीं। जब कि भाजपा खाते में केवल 3 सीटें आयीं थीं। कांग्रेस को 44 और लेफ्ट फ्रंट को 32 सीटें मिली थीं। बहुमत के लिए 148 सीटें चाहिए। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 123 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी। लोकसभा चुनाव के प्रदर्शन से उत्साहित भाजपा ने 2021 के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा लगातार पश्चिम बंगाल का दौरा कर रहे हैं। आम लोगों से जुड़ने के लिए जेपी नड्डा मिल मजदूरों के घर जा कर भोजन कर रहे हैं। ममता बनर्जी महंगाई और बाहरी बनाम स्थानीय के नाम पर मतदाताओं को गोलबंद कर रही हैं।
केरल - कुल 140 सीट, बहुमत- 71
केरल में अभी सीपीएम के नेतृत्व में वाम जनतांत्रिक मोर्चा की सरकार है। पी विजयन मुख्यमंत्री हैं। 2016 के चुनाव में सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट को 91 सीटें मिली थी और उसने सरकार बनायी थी। कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट को 47 सीटें मिलीं थीं। 2016 के विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा को एक सीट मिली थी। इस बार भाजपा मेट्रोमैन ई श्रीधरन, इसरो के पूर्व अध्यक्ष माधवन नायर जैसे दिग्गजों के सहयोग से अपना आंकड़ा एक से दो अंकों में बदलना चाहती है। चर्चा है कि भारत की महान धाविका रही पीटी उषा भी भाजपा में शामिल होने वाली हैं। भाजपा मशहूर हस्तियों को जोड़ कर केरल में नयी पारी शुरू करना चाहती है। दूसरी तरफ राहुल गांधी ने भी केरल का दौरा कर कांग्रेस की उम्मीदों का हवा दी है। उन्होंने मछुआरों के साथ समुद्र में मछली मार कर आम आदमी से जुड़ने की कोशिश की है।
तमिलनाडु - कुल सीट 234, बहुमत- 118
2016 के विधानसभा चुनाव में जयललिता के करिश्मे के कारण अन्नाद्रमुक को 136 सीटों पर जीत मिली थी। डीएमके को 89 और कांग्रेस को 8 सीटें मिलीं थीं। जयललिता ने तब सरकार बनायी थी। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के चार महीने के बाद ही उनकी अस्पताल में मौत हो गयी थी। इसके बाद उनके अत्तराधिकार की लड़ाई में अन्नाद्रमुक अब पहले से कमजोर हो गयी है। अभी के. पलानीस्वामी मुख्यमंत्री हैं और ओ. पन्नीरसोलवम उप मुख्यमंत्री हैं। अन्नाद्रमुक का मुकाबला द्रमुक से है। इन्ही दोनों के बीच सत्ता के लिए लड़ाई होती रही है। भाजपा इस बार अन्नाद्रमुक के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस द्रमुक के साथ है। राहुल गांधी ने हाल में ही तमिलनाडु का दौरा कर कांग्रेस के चुनावी अभियान की शुरुआत की है।
पुदुचेरी -कुल सीट 30, बहुमत-16
2016 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 15 सीटें मिलीं थीं। डीएमके के पास 2 सीटें थीं। कांग्रेस ने डीएमके के सहयोग से सरकार बनायी थी। एनआर रंगास्वामी कांग्रेस को 8 और अन्नाद्रमुक को 4 सीटें मिलीं थीं। हाल ही में कांग्रेस के विधायकों के साथ छोड़ देने से कांग्रेस के मुख्यमंत्री नारायण सामी को इस्तीफा देना पड़ा। अब यहां राष्ट्रपति शासन लागू है। कांग्रेस अपनी खोयी सत्ता पाने के लिए 2021 के चुनाव में नयी ताकत के साथ मैदान में उतरने वाली है।
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