Bhilai : BSP कर्मचारियों को इस बार भी मिलेगा आश्वासन का बोनस, लेकिन मांग 50 हजार की
स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड को सबसे अधिक प्रॉफिट देने वाली इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी अब त्यौहारी सीजन में मिलने वाले बोनस के नए फार्मूले की मांग कर रहे हैं। इस बार कर्मचारी 50 हजार रुपये बोनस की मांग कर
दुर्ग, 16 अगस्त। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड को सबसे अधिक प्रॉफिट देने वाली इकाई भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी अब त्यौहारी सीजन में मिलने वाले बोनस के लिए नए फार्मूले की मांग कर रहे हैं। इस बार कर्मचारी 50 हजार रुपये बोनस की मांग कर रहें हैं। लेकिन दीपावली से पहले मिलने वाले बोनस के लिए बीएसपी प्रबंधन ने अब तक किसी नए फॉर्मूले की जानकारी नही दी है। जिससे लग रहा है कि इस बार भी कर्मचारियों को सिर्फ आश्वासन ही मिलेगा।
हर
साल
वित्तीय
लाभ
के
आधार
पर
दिया
जाता
है
बोनस
बीएसपी
कर्मचारियों
को
हर
साल
सेल
परफारमेंस
इंसेंटिव
स्कीम
(SPIS)
में
चालू
वित्त
वर्ष
के
परफॉर्मेंस
के
आधार
पर
एकमुश्त
रकम
बोनस
के
रूप
में
दी
जाती
है।
इस
स्कीम
के
तहत
30
फीसदी
हिस्सा
प्रॉफिट
व
70
फीसदी
एबीपी
के
टारगेट
को
अचीव
करने
पर
मिलने
वाली
राशि
होती
है।
कर्मियों
को
जो
टारगेट
दिया
जाता
है,
उसको
वह
पूरा
करता
है
तब
उसे
70
फीसदी
और
उस
प्रोडक्ट
के
बिक्री
पर
होने
वाली
प्रॉफिट
पर
शेष
30
फीसदी
एक्सग्रेसिया
दिया
जाता
है।
बीएसपी
प्रबंधन
ने
दिया
था
आश्वासन
दरअसल
भिलाई
स्टील
प्लांट
के
कर्मचारियों
का
कहना
है
कि
उन्हें
आज
भी
12
साल
पुराने
फॉर्मूले
से
ही
बोनस
(एक्सग्रेसिया)
मिल
रहा
है।
स्टील
अथाॅरिटी
ऑफ
इंडिया
लिमिटेड
(SAIL)
प्रबंधन
ने
न
नही
बोनस
एक्ट
में
संशोधन
किया,
और
न
ही
परफॉर्मेंस
इंसेंटिव
स्कीम
के
तहत
किए
जा
रहे
भुगतान
का
नया
फॉर्मूला
बनाया।
जबकि
बीते
वर्ष
बोनस
का
निर्धारण
की
बैठक
में
प्रबंधन
ने
यूनियन
प्रतिनिधियों
को
आश्वस्त
किया
था
कि
आगामी
वर्ष
तक
नई
पाॅलिसी
बना
ली
जाएगी।
बीएसपी
को
हुआ
776
करोड़
का
मुनाफा
बीते
वित्त
वर्ष
2021-22
में
सेल
का
कर
पूर्व
लाभ
16000
करोड़
व
टैक्स
चुकाने
के
बाद
13000
करोड़
रहा
है।
वहीं
चालू
वित्त
वर्ष
2022-23
की
पहली
तिमाही
में
कंपनी
को
776
करोड़
का
मुनाफा
हुआ
है।
कर्मचारी
संगठन
इसलिए
अब
नए
फाॅर्मूले
से
एक्सग्रेसिया
निर्धारण
चाहते
हैं।
पिछले
साल
उन्हें
21
हजार
बोनस
दिया
गया
था।
उनकी
मांग
है
कि
लाभ
के
अनुसार
उन्हें
50
हजार
तक
बोनस
मिलना
चाहिए।
लाभांश
पर
सबका
समान
अधिकार
दरअसल
साल
2012
में
बोनस
की
पॉलिसी
पर
आंशिक
संसोधन
करते
हुए
एसपीआईएस
के
रूप
में
नई
पॉलिसी
लाई
गई
थी।
इसके
आधार
पर
त्योहार
पर
राशि
का
भुगतान
किया
जा
रहा
है।
कर्मचारियों
को
बोनस
के
रूप
में
मिलने
वाली
राशि
चालू
वित्तीय
वर्ष
के
पहले
2
तिमाही
के
प्रदर्शन
और
बाकी
दो
तिमाही
के
अनुमानित
लाभ
के
आधार
पर
मिलती
है।
कर्मियों
का
कहना
है
उनकी
मांग
वास्तविकता
आधारित
और
पीआरपी
से
पूरी
तरह
अलग
है।
जहां
पीआरपी
का
भुगतान
ग्रेड
और
ग्रेडिंग
पर
आधारित
होता
है
तथा
अलग-अलग
स्तर
पर
अलग-अलग
लाभ
मिलता
है।
वही
श्रमिक
संगठन
ने
सब
के
प्रयासों
को
समान
मानते
हुए
एक
सी
राशि
मांगी
है।
बोनस
को
लेकर
होने
वाली
बैठक
में
यह
मुद्दा
प्रमुखता
से
उठाने
की
तैयारी
है।
ठेका
श्रमिकों
को
नही
मिलता
बोनस
का
लाभ
संयंत्र
के
भीतर
लगभग
30
हजार
से
भी
अधिक
ठेका
श्रमिक
कार्यरत
है।
जिनका
संयंत्र
के
लाभांश
में
समान
हिस्सेदारी
है।
इनमें
से
हर
साल
अधिकांश
श्रमिकों
को
बोनस
ही
नहीं
मिल
पाता।
प्रबंधन
केवल
सर्कुलर
जारी
अपनी
जिम्मेदारी
निभाने
की
खानापूर्ति
कर
लेता
है।
संबंधित
ठेकेदार
समय
पर
भुगतान
नहीं
करते।
पर्याप्त
व
निर्धारित
राशि
भी
नहीं
दी
जाती।
शिकायत
के
बाद
संयंत्र
की
ओर
से
कोई
कार्रवाई
नहीं
की
जाती
है।
इससे
संयंत्र
के
नियमित
कर्मचारियों
और
ठेका
श्रमिकों
का
मनोबल
टूटता
है।
बीएसपी
इस
बार
भी
दे
सकता
है
अश्वासन
सेल
प्रबन्धन
और
कर्मचारी
यूनियनों
के
बीच
में
पिछले
वर्ष
नए
फाॅर्मूले
को
बनाने
को
लेकर
सहमति
बनी
थी।
कर्मियों
को
इस
वर्ष
नए
फाॅर्मूले
के
अनुसार
नवरात्रि
से
पहले
बोनस
का
भुगतान
किया
जाना
था।
किंतु
यूनियनों
की
आपस
में
खींचतान
के
चलते
इस
पर
बात
नहीं
बन
सकी
है।
अब
बोनस
तय
करने
मीटिंग
का
समय
आ
चुका
है
और
अब
तक
फार्मूले
को
लेकर
कोई
भी
जानकारी
सामने
नहीं
आई
है।