सिंघु बॉर्डर: किसानों ने कोरोना मरीजों की खातिर हाईवे का एक तरफ का रास्ता क्लियर किया
नई दिल्ली। कृषि कानून रद्द कराने की मांग करते किसान प्रदर्शनकारियों ने धरना-प्रदर्शन खत्म करने से इनकार किया है, हालांकि दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर राजमार्ग के एक तरफ का रास्ता क्लियर करने को राजी हो गए। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं का कहना है कि, वे राजमार्ग के एक तरफ का रास्ता कोरोना मरीजों की खातिर साफ कर रहे हैं। अब राजमार्ग के एक तरफ के रूट पर लगे बेरिकेड्स को आपातकालीन सेवाओं जैसे एम्बुलेंस को रास्ता देने के लिए हटा दिया जाएगा।
सिंघु
बॉर्डर
पर
एक
तरफ
का
रास्ता
क्लियर
ज्ञातव्य
है
कि,
केंद्र
के
तीन
कृषि
कानूनों
के
खिलाफ
अपना
विरोध
दर्ज
कराने
के
लिए
नवंबर
2020
से
सिंघु
बॉर्डर
समेत
कई
जगहों
पर
जमे
बैठे
हैं।
संयुक्त
किसान
मोर्चा
(एसकेएम)
किसान
आंदोलन
शुरू
करने
वाली
किसान
यूनियनों
में
से
एक
है।
प्रदर्शनकारी
उसके
पदाधिकारियों
की
गुरुवार
शाम
हरियाणा
सरकार
के
अधिकारियों
के
साथ
एक
बैठक
हुई
थी।
जहां
सिंघु
बॉर्डर
पर
राजमार्ग
के
एक
तरफ
बैरिकेड
हटाने
का
निर्णय
लिया
गया,
ताकि
ऑक्सीजन
वाले
टैंकर,
एम्बुलेंस
और
अन्य
आपातकालीन
सेवाएं
चालू
रह
सकें।
"पब्लिक
को
कम
से
कम
परेशानी
होने
देंगे"
किसान
संगठनों
के
नेताओं
की
ओर
से
गुरुवार
को
एक
प्रेस
नोट
भी
जारी
किया
गया।
जिसमें
प्रदर्शनकारियों
ने
महामारी
के
खिलाफ
लड़ाई
में
हर
संभव
मदद
करने
का
वादा
किया।
उन्होंने
कहा,
"आम
नागरिकों
को
कम
से
कम
दिक्कतें
हों,
हम
ऐसा
चाहते
हैं।'
संयुक्त
किसान
मोर्चा
ने
इसके
अलावा
भाजपा
के
इस
आरोप
को
भी
खारिज
कर
दिया
कि
प्रदर्शनकारी
दिल्ली
में
ऑक्सीजन
की
आपूर्ति
में
बाधा
डाल
रहे
हैं।
किसानों
ने
कहा
कि,
सड़कों
पर
बैरिकेडिंग
करने
और
राजमार्ग
पर
बाधा
डालने
के
लिए
सरकार
दोषी
है,
जबकि
वे
पहले
ही
यातायात
की
आवाजाही
के
लिए
ऐसे
मार्ग
छोड़
चुके
हैं।
प्रवासी
श्रमिकों
को
बुलावा
प्रदर्शनकारी
किसानों
ने
कहा
कि
प्रवासी
कामगारों
पर
उनके
घरों
को
वापस
लौटने
का
दवाब
बन
रहा
है।
उन्होंने
स्पष्ट
किया
कि
इसका
लक्ष्य
धरना
स्थलों
पर
संख्या
बढ़ाना
नहीं
है,
बल्कि
यह
बताना
है
कि
"ढीठ
और
असंवेदनशील
सरकार"
विफल
हुई
है।
संयुक्त
किसान
मोर्चा
के
दर्शन
पाल
ने
कहा,"जो
किसान
गेहूं
की
कटाई
के
लिए
गए
थे
वे
अब
उत्साहित
होकर
हजारों
की
संख्या
में
वापस
आ
रहे
हैं
और
किसानों
के
आंदोलन
को
प्रवासी
श्रमिकों
की
आवश्यकता
नहीं
है।
प्रवासी
श्रमिकों
को
बुलावा
इसलिए
है
क्योंकि
किसान
इन
श्रमिकों
के
संकट
को
समझते
हैं।
"
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने धरना-स्थलों पर अस्थायी रूप से प्रवासी श्रमिकों की देखभाल करने का वादा किया और कहा कि उन्हें आश्रय और भोजन प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा, "श्रमिकों के साथ किसानों की एकता को बढ़ावा दिया जाएगा।" मोर्चा के बयान में सरकार को आड़े हाथेां लेते हुए कई आरोप भी लगाए गए। अपने बयान में मोर्चा के नेताओं ने कहा कि, "बेहतर यही होगा कि सरकार सभी तीन कानूनों को निरस्त करे। सरकार के साथ मौजूदा गतिरोध का एकमात्र समाधान यही होगा।"
उन्होंने कहा, ''औपचारिक बातचीत पुन: आरंभ होने का मतलब तीनों कानूनों को निरस्त करना और न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून लाना है।"
हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में बीते रोज 26,000 से ज्यादा नए कोरोना मरीज पाए गए हैं। संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और मुख्यमंत्री का कहना है कि, दिल्ली में कोरोना पीडि़तों को ऑक्सीजन की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।