कोरोना से दिल्ली में दूसरी नर्स की मौत, 10 दिन पहले क्लिनिक से बहुत तनाव में लौटी थीं राजम्मा
दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना का संक्रमण तेजी से पैर पसारता जा रहा है। बुधवार को दिल्ली में एक दिन में सबसे ज्यादा कोरोना के 1,513 मामले सामने आए। इसी दिन चार दिन तक वायरस से पीड़ित रहने के बाद 67 साल की एक और नर्स की मृत्यु हो गई। केरल के कोट्ट्यम की निवासी नर्स राजम्मा 40 साल पहले दिल्ली शिफ्ट हुई थीं और 20 साल से एक क्लिनिक में काम कर रही थीं। 24 मई को 46 साल की नर्सिंग अधिकारी अंबिका की मौत हुई थी। वेस्ट दिल्ली के कालरा अस्पताल में तैनात इस नर्स में कोरोना के लक्षण थे।
रविवार को जांच रिपोर्ट आई पॉजिटिव
पश्चिमी दिल्ली के टैगोर गार्डन में शिवाजी मैटर्निटी सेंटर में दो दशक से काम कर रहीं नर्स राजम्मा दस दिन पहले जब क्लिनिक से घर लौटी तो उन्होने कफ और बदन दर्द की शिकायत की थी। राजम्मा की बेटी दिव्या मधुसूदन ने बताया कि इसके बाद उन्होंने क्लिनिक जाना बंद कर दिया था और उनका कफ व बुखार काफी बढ़ गया था। पिछले शुक्रवार को उनकी जांच की गई। रविवार को जब रिपोर्ट आई तो उनमें कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया। इसके बाद उनको सांस लेने में काफी समस्या होने लगी।
आईसीयू में टूटा दम
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, राजम्मा की भतीजी शोभा ने बताया कि बीमार राजम्मा को ले जाने के लिए हमलोगों ने पुलिस को बुलाया। एंबुलेंस से राजम्मा को पहले दीन दयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया जहां बेड खाली नहीं थे। इसके बाद उनको लोक नायक हॉस्पिटल में बेड मिलने पर भर्ती कराया गया था। उनको आईसीयू में शिफ्ट किया गया और बुधवार को दोपहर बाद करीब 1.30 बजे उन्होंने दम तोड़ दिया। राजम्मा को मधुमेह की बीमारी भी थी।
होम क्वारंटाइन में परिवार
राजम्मा की बेटी दिव्या भी मधुमेह से पीड़ित हैं। दिव्या फिलहाल घर में ही क्वारंटाइन में रह रही हैं और उनकी तबियत भी ठीक नहीं है। 68 साल के पिता भी घर में ही रह रहे हैं और उनके अंदर फिलहाल कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखे हैं। राजम्मा के साथ बीस साल उसी क्लिनिक में काम कर चुकी सुनीता ने बताया कि वह मरीजों के साथ अपने परिवार के सदस्य की तरह व्यवहार करती थी और बच्चों से उनको बहुत प्यार था। क्लिनिक चला रहे डॉक्टर अशोक जैन ने कहा कि उनके मैटर्निटी सेंटर में दो बेड और तीन नर्स हैं। यहां पिछले एक महीने से किसी मरीज को भर्ती नहीं किया गया। सभी स्टाफ को मास्क, ग्लब्स और सेनेटाइजर दिए गए थे। हमलोग पीपीई का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह छोटा क्लिनिक है और यहां कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज भी नहीं किया जाता है।
'मां पीपीई की कमी के बारे में कहती थी'
बेटी दिव्या भी नर्स का काम करती हैं। उन्होंने कहा कि मां राजम्मा पीपीई किट नहीं होने को लेकर चिंतित थी और इस बारे में बात करती थी। आखिरी दिन वह काफी तनाव में घर लौटी थी। उन्होंने कहा था कि क्लिनिक में एक गर्भवती मरीज आई थी जिसको तेज बुखार और कफ की शिकायत थी। इसके बाद ही राजम्मा बीमार हुई और घर लौटने के बाद फिर उठ नहीं पाई। दिव्या ने बताया कि वह खुद दो महीने से अस्पताल काम पर नहीं जा रही हैं, उन्होंने छुट्टी ले रखी है।
कोरोना ने ली पति की जान, पूरा परिवार पॉजिटिव मिला, लेकिन 58 साल की नर्स फर्ज से नहीं डिगी