2005 के दिल्ली सीरियल ब्लास्ट के लिए कोई दोषी नहीं, मुख्य आरोपी को दूसरे केस में 10 साल की जेल
सीरियल धमाकों के लिए तारिक अहमद डार, मोहम्मद हुसैन फाजिल और मोहम्मद रफीक शाह को मुख्य आरोपी बनाया गया था। इन पर धमाकों की साजिश रचने का आरोप था।
लश्कर
का
ऑपरेटिव
होने
का
था
आरोप
सीरियल
धमाकों
के
लिए
तारिक
अहमद
डार,
मोहम्मद
हुसैन
फाजिल
और
मोहम्मद
रफीक
शाह
को
मुख्य
आरोपी
बनाया
गया
था।
इन
पर
धमाकों
की
साजिश
रचने
का
आरोप
था।
यह
भी
माना
जा
रहा
था
कि
इन
धमाकों
का
मास्टरमाइंड
तारिक
है
जो
लश्कर
का
ऑपरेटिव
था।
कोर्ट
ने
इस
मामले
में
तीनों
आरोपियों
पर
देश
के
खिलाफ
युद्ध
छेड़ने,
आपराधिक
साजिश
रचने,
हत्या,
हत्या
के
प्रयास
और
हथियार
जुटाने
के
आरोप
तय
किए
थे।
दिल्ली
पुलिस
ने
तारिक
के
खिलाफ
चार्जशीट
दायर
की
थी।
पुलिस
ने
पेश
की
कॉल
डीटेल
पुलिस
ने
कोर्ट
में
तारिक
की
कॉल
डीटेल
भी
पेश
की,
जिसमें
दावा
किया
गया
कि
वह
लश्कर-ए-तोएबा
के
अपने
हैंडलर
से
बातचीत
करता
था।
पुलिस
ने
अक्टूबर
2005
में
सीरियल
ब्लास्ट
में
तीन
एफआईआर
दर्ज
की
थीं
और
मामले
की
तहकीकात
शुरू
की
थी।
दिवाली
से
एक
दिन
पहले
हुए
धमाकों
में
पहला
धमाका
पहाड़गंज
इलाके
में
शाम
करीब
5:38
बजे
हुआ।
दूसरा
धमाका
गोविंदपुरी
इलाके
में
6
बजे
और
तीसरा
धमाका
सरोजनी
नगर
इलाके
में
शाम
6:05
बजे
हुआ।
11
साल
बिता
चुका
है
जेल
में
सीरियल
धमाकों
में
पहाड़गंज
में
9
लोगों
की
मौत
हुई
जबकि
60
लोग
घायल
हुए।
वहीं
गोविंद
पुरी
में
चार
लोग
घायल
हुए।
भीड़भाड़
वाले
सरोजनी
नगर
में
हुए
धमाके
में
50
लोगों
की
मौत
हुई
और
करीब
130
लोग
घायल
हुए।
11
साल
पहले
हुए
सीरियल
ब्लास्ट
में
पहले
13
फरवरी
को
फैसला
आना
था
लेकिन
बाद
में
16
फरवरी
की
तारीख
तय
की
गई।
कोर्ट
ने
तारिक
को
गैरकानूनी
गतिविधियों
में
शामिल
होने
के
आरोप
में
दोषी
ठहराया
है।
उसे
ब्लास्ट
के
लिए
दोषी
नहीं
माना
गया।
तारिक
11
साल
जेल
में
बिता
चुका
है,
लिहाजा
उसे
जेल
में
अब
नहीं
रहना
पड़ेगा।