ऑक्सफर्ड के स्कॉलर सेना के साथ मोदी से टकराएंगे राहुल
नयी दिल्ली। भाजपा के पीएम इन वेटिंग नरेन्द्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से अब कांग्रेस डरने लगी है। एक्टजिट पोल और सर्वें में अपने युवराज राहुल गांधी की घटती लोकप्रियता से पार्टी परेशान है। मोदी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को राहुल को मजबूत करना होगा। इसके लिए अब उन्होंने तैयारी कर ली है। बीजेपी नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस से दो-दो हाथ करने के लिए कमर कस चुकी है तो कांग्रेस भी अपनी रणनीति पर गंभीरता से काम कर रही है।
मोदी से मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी अपनी टीम तैयार कर रहे है। राहुल की टीम में बड़ी संख्या में विदेशों में पड़े-लिखे लोग शामिल किए जा रहे हैं। टीम राहुल में खासतौर पर ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के स्कॉलरों को शामिल किया जा रहा है। स्कॉलर के अलावा ब्यूरोक्रेट्स भी टीम राहुल का हिस्सा बन रहे है। राहुल की टीम में 20 पूर्व ब्यूरोक्रेट्स और एक्सपर्ट्स की टीम में ऑक्सफर्ड के स्कॉलर को जगह दी गई है। हालांकि उनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है, फिर भी उन्हें राहुल की सेना में जगह मिली है। राहुल के घर में मोदी को मात देने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है।
भले ही राहुल की टीम में शामिल लोगों के पास अनुभव की कमी हो, लेकिन उन्हें अपने-अपने क्षेत्रों में महारत हासिल है। मोदी की देखादेखी राहुल ने भी अपनी टीम में टेक-सेवी लोगों को जगह दी है। राहुल की सेना में 1981 बैच के आईएसएस अधिकारी कोप्पुला राजू, हावर्ड यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल करने वाले जी मोहन गोपाल और फाइनैंशल वर्ल्ड के महारथी अलंकार स्वामी शामिल है।
लोकसभा चुनाव में राहुल की जीत के लिए उनकी कोर टीम में राजनीति के पुराने खिलाड़ी एके एंटनी, अहमद पटेल और मधुसूदन मिस्त्री के साथ-साथ इन नए खिलाड़ियों को भी जगह मिली है। ये लोग लगातार कांग्रेस की चुनावी रणनीति बनाने में लगे हैं। राहुल को दमदार नेता के तौर पर पेश करने के लिए कोर टीम दिरात लगी हुई है। राहुल का बंगला वॉर रुम में बदल गया है। कांग्रेस की नीतियों को उभारकर वो लोगों के सामने ला रहे है ताकि लोगों को सिर्फ कांग्रेस सरकार की अच्छाईयां दिखे। कोर टीम कांग्रेस प्रवक्ताओं को इस बात की जानकारी भी दे रही है कि मोदी को पछारने के लिए उन्हें प्रसे कॉन्प्रेंस में क्या बोलना है। राहुल की टीम उनकी जीत के लिए योजनाएं बना रही है। ऐसे में ये चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा कि मोदी की अनुभवी टीम जीतती है या फिर राहुल की ऑक्सफोर्ड के स्कॉलरों की सेना।