दिल्ली के शिक्षा मॉडल का दुनियाभर में बजा डंका, मुख्यमंत्री केजरीवाल ने लिए हैं ये अहम फैसले
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संकट के बावजूद भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम फैसले लिए गए और उन फैसलों के चलते ही आज दुनियाभर में दिल्ली का शिक्षा मॉडल चर्चा का विषय बना हुआ है। कोरोना काल में बंद पड़े सरकारी स्कूलों के छात्रों की पढ़ाई का लगातार नुकसान हो रहा था, लेकिन दिल्ली सरकार ने उस नुकसान को रोकने के लिए छात्रों की पढ़ाई को जारी रखा और ऑनलाइन क्लासेस कराने का फैसला किया। इसके अलावा नीति आयोग की रिपोर्ट में दिल्ली के स्कूलों को देश में सबसे बेहतर माना गया।
लॉकडाउन में आयोजित की गई डिजीटल क्लासेस
कोरोना काल में दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की थी। 20 देशों की ई-लर्निंग सामग्री का इस्तेमाल बच्चों को शिक्षित करने के लिए किया गया। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकारी स्कूलों के केजी से लेकर 12वीं तक के करीब 9 लाख छात्र-छात्राओं ने ऑनलाइन एवं एसएमएस/आईवीआर लर्निंग सिस्टम का लाभ उठाया।
दिल्ली के सरकारी स्कूल देश में सबसे बेहतर
दिल्ली के सरकारी स्कूल देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे बेहतर हैं। नीति आयोग ने सरकारी शिक्षण संस्थानों में आए बदलाव की सराहना करते हुए उन्हें नेशनल अचीवमेंट सर्वे (एनएएस) में सबसे ज्यादा अंक दिए हैं। इस सर्वे में दिल्ली के सरकारी स्कूलों को 44.73 अंक मिले हैं। आयोग ने तैयार किए "इंडिया इनोवेशन इंडेक्स 2020' के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर औसत स्कोर 35.66 रहा है। दिल्ली को आय के उच्च स्तर के साथ-साथ सरकारी स्कूल प्रणाली के ऐतिहासिक परिवर्तन की वजह से सबसे ज्यादा स्कोर मिला है। दूसरे राज्यों में सबसे ज्यादा साक्षर राज्य केरल इस मामले में असम से पिछड़ गया है। राजस्थान ने आईटी हब के तौर पर मशहूर आंध्र को पछाड़कर तीसरा नंबर हासिल किया है।
जनवरी 2021 आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन
इसके अलावा दिल्ली सरकार की ओर से जनवरी 2021 में दिल्ली अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया। सात दिवसीय सम्मेलन में भारत तथा सात अन्य देशों के 22 शिक्षा विशेषज्ञ स्कूली शिक्षा के विभिन्न विषयों पर विचार रखे। इनमें भारत, फिनलैंड, इंग्लैंड, जर्मनी, सिंगापुर, नीदरलैंड, अमेरिका और कनाडा के विशेषज्ञ शामिल हुए।