दिल्ली में लगा चाइनीज मांझे पर बैन, उल्लंघन पर 5 साल जेल और 1 लाख का जुर्माना
नई दिल्ली। पतंगबाजी के दौरान चायनीज मांझा इस्तेमाल करने पर रोक लग गई है। दिल्ली में यदि कोई अब ऐसे मांझे की बिक्री, निर्माण या उपयोग करता पकड़ा गया तो उसे 5 साल की जेल हो सकती है। उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह आदेश एनजीटी (National Green Tribunal) की ओर से जारी किए गए। एनजीटी के अधिकारियों के मुताबिक, एनजीटी ने चायनीज मांझे पर प्रतिबंध लगा दिया है।
साउथ-ईस्ट दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे ने बताया कि, साउथ-ईस्ट दिल्ली में चायनीज मांझे से हुए नुकसान के संबंध में शिकायतें मिलती रही हैं। उन्होंने कहा कि, दक्षिण-पूर्वी दिल्ली जिले में इस संबंध में पहले से ही 6 मामले दर्ज हैं। लिहाजा एनजीटी ने चीनी मांझा की बिक्री, निर्माण और उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका उल्लंघन करते पाए जाने पर किसी को 5 साल के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है, व 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। डीसीपी दक्षिण-पूर्व दिल्ली, ने कहा कि, कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए ऐसा किया गया है।
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क्या
है
एनजीटी?
एनजीटी
का
मतलब
हरित
क्रांति
से
है।
नेशनल
ग्रीन
ट्रिब्यूनल
एक्ट
2010
के
अंतर्गत
केंद्र
सरकार
द्वारा
एनजीटी
की
स्थापना
18
अक्टूबर,
2010
को
हुई
थी।
इसके
जरिए
सरकार
का
उद्देश्य
पर्यावरण
संरक्षण,
जंगलों
के
संरक्षण
और
अनुमतियाँ
प्रदान
के
दौरान
निर्दिष्ट
पर्यावरण
कानूनों
या
शर्तों
के
उल्लंघन
के
कारण
लोगों
या
संपत्ति
की
क्षतिपूर्ति
के
लिए
मुआवजे
की
मांग
के
मामलों
का
प्रभावी
और
शीघ्र
निपटान
के
लिए
एक
विशेष
मंच
प्रदान
करना
था।
नेशनल
ग्रीन
ट्रिब्यूनल
के
पास
पर्यावरण
संबंधी
मुद्दों
और
एनजीटी
अधिनियम
की
अनुसूची-1
में
सूचीबद्ध
कानूनों
के
कार्यान्वयन
से
संबंधित
प्रश्नों
से
संबंधित
सभी
सिविल
मामलों
की
सुनवाई
करने
के
अधिकार
है।
जैसे-
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974;
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) सेस अधिनियम, 1977;
- वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980;
- वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981;
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986;
- सार्वजनिक उत्तरदायित्व बीमा अधिनियम, 1991;
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002
इन कानूनों से संबंधित कोई भी उल्लंघन, या इन कानूनों के तहत सरकार द्वारा दिए गए किसी भी आदेश / फैसले को एनजीटी के समक्ष चुनौती दी जा सकती है।
- भारत में राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) अधिनियम-2010 के तहत ही राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) की स्थापना की गई। इसके सामान्य मुद्दों में पर्यावरणीय अनुमति, वन अनुमति, खनन, वन संरक्षण, तटीय क्षेत्र विनियमन, पेड़ों का काटना, अवैध निर्माण, औद्योगिक प्रदूषण और अन्य प्रदूषण मुद्दों से संबंधित मामले शामिल हैं।