राकेश टिकैत बोले- 4 लाख ट्रैक्टर यहीं हैं और 25 लाख किसान भी, बिल वापसी ही हमारी घर वापसी
नई
दिल्ली।
भारतीय
किसान
यूनियन
(भाकियू)
के
नेता
राकेश
टिकैत
ने
कृषि
कानूनों
के
मुद्दे
पर
सरकार
को
फिर
चेतावनी
दी।
टिकैत
ने
आज
अपने
आधिकारिक
ट्विटर
हैंडल
से
ट्वीट
किया
कि,
"4
लाख
ट्रैक्टर
यहीं
(दिल्ली
के
पास)
हैं
और
25
लाख
किसान
भी
यही
हैं।
26
तारीख
भी
हर
महीने
आती
है...तो
ये
सरकार
याद
रख
ले..।"
इसके
साथ
ही
टिकैत
ने
"बिल
वापसी
ही
घर
वापसी"
हैशटैग
इस्तेमाल
किया।
मालूम
हो
कि,
भाकियू
समेत
देशभर
के
कई
किसान
संगठन
किसानों
को
सरकार
के
खिलाफ
लामबंद
करने
में
लगे
हैं।
वे
चाहते
हैं
कि
कृषि
कानून
रद्द
हों
और
एमएसपी
वाला
कानून
लाया
जाए।
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किसान आंदोलन तेज करने का आवाह्न
राकेश टिकैत ने किसानों को ट्रैक्टरों के साथ तैयार रहने के लिए कहा है। इससे पहले टिकैत ने विवादास्पद कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अल्टीमेटम जारी किया था। हालांकि, सरकार ने उस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। जिसके बाद टिकैत ने आवाह्न करते हुए कहा, "यह सरकार मानने वाली नहीं। इसे इलाज की जरूरत है। किसानों..अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हो जाओ, हमें अपनी जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।"
टिकैत बोले- सरकार गलतफहमी में न रहे
किसान नेता ने पिछले दिनों कहा कि, केंद्र सरकार को अपनी 'गलतफहमी' से छुटकारा पाना चाहिए कि किसान अपने विरोध प्रदर्शन से पीछे हट जाएंगे, क्योंकि हम ऐसा नहीं करेंगे।" राकेश टिकैत ने किसानों से एकजुट होने के लिए आवाह्न किया और कहा, "या तो किसान और जनता रहेगी या यह सरकार। किसानों की आवाज को झूठे मामलों से नहीं दबाया जा सकता है।"
भाजपा-जजपा नेताओं का विरोध
पिछले कुछ दिनों में धरना स्थलों से अशांति व उत्पात से जुड़ी अलग-अलग खबरें सामने आईं, जिनके लिए पुलिस ने किसान प्रदर्शनकारियों को दोषी ठहराया। वहीं, जवाब में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनका आंदोलन काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है, फिर भी पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया। दरअसल, वे कृषि कानूनों को लेकर हरियाणा में भाजपा-जजपा नेताओं के सार्वजनिक कार्यक्रमों का विरोध करते रहे हैं।
दिल्ली के सीमावर्ती स्थलों पर जमे हैं प्रदर्शनकारी
बता दिया जाए कि, किसानों का आंदोलन अभी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती स्थलों पर ही चल रहा है। किसान प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़े हैं। इसी तरह इस आंदोलन शुरू हुए 200 से अधिक दिन बीत चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि तीन कानून - किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम , 2020 को वापस लिया जाए और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए एक नया कानून बनाया जाए।