अखिलेश बोले- भारत समेत 16 देशों के बीच हो रही RCEP किसानों के हितों को तबाह करने वाली
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थाईलैंड दौरे के तीसरे दिन सोमवार को 14वें ईस्ट एशिया शिखर सम्मेलन में शामिल हुए। जिसके बाद 16 देशों के बीच क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (RCEP) के तहत होने वाले मुक्त व्यापार समझौते को लेकर समीक्षा शुरू हुई। आरसीईपी का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच फ्री ट्रेड को बढ़ावा देना है। मगर, व्यापार विश्लेषक इस समझौते के फायदेमंद होने या घाटा बढ़ाने को लेकर असमंझस की स्थिति में हैं। कुछ जानकारों का कना है कि इस समझौते से भारतीय बाजार में चीन से खतरा पैदा होगा, क्योंकि चीन भी उन देशों में शामिल है जो रीजनल कम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) समिट में हिस्सा ले रहा है।
अखिलेश
बोले-
भारत
आरसीईपी
से
दूर
रहे
तो
ठीक
रहेगा
आरसीईपी
को
लेकर
समाजवादी
पार्टी
के
अध्यक्ष
अखिलेश
यादव
ने
भी
बयान
दिया
है।
अखिलेश
का
कहना
है
कि
केन्द्र
सरकार
को
क्षेत्रीय
समग्र
व्यापार
संधि
(आरसीईपी)
में
हस्ताक्षर
करने
से
बचना
चाहिए।
आरसीईपी
किसानों
के
हितों
पर
गहरा
आघात
करने
वाली
है।'
आखिलेश
ने
यह
भी
कहा
कि
आरसीईपी
के
लागू
होने
से
देश
में
कृषि
पर
संकट
और
गम्भीर
हो
जाएगा।
इस
समझौते
से
यहां
किसानों
की
जिंदगी
और
बदहाल
हो
जाएगी।
आरसीईपी
बैंकाक
में
16
देशों
के
बीच
होने
वाली
है।
सरकार
को
इसके
लिए
राजी
नहीं
होना
चाहिए।''
मोदी
सरकार
भी
आरसीईपी
को
लेकर
स्पष्ट
नहीं
भारत
समेत
एशिया
के
16
देशों
के
बीच
क्षेत्रीय
व्यापक
आर्थिक
साझेदारी
(RCEP)
के
तहत
मुक्त
व्यापार
समझौते
को
लेकर
केंद्र
सरकार
भी
असमंजस
की
स्थिति
में
है।
हालांकि,
प्रधानमंत्री
मोदी
और
उनके
आर्थिक
सलाहकार
यह
जता
चुके
हैं
कि
यदि
आरसीईपी
को
लेकर
निष्पक्ष
और
पारदर्शी
करार
हो,
तो
ही
भारत
उसमें
शामिल
हो
सकता
है।
दरअसल,
भारत
घरेलू
उद्योगों
की
सुरक्षा
की
मांग
कर
रहा
है।
दुनिया
की
45%
आबादी
और
58%
जीडीपी
में
हिस्सेदारी
आरसीईपी
दक्षिण
एशियाई
देशों
के
प्रमुख
संगठन
आसियान
के
10
देशों
(ब्रुनेई,
इंडोनेशिया,
कंबोडिया,
लाओस,
मलेशिया,
म्यांमार,
फिलीपींस,
सिंगापुर,
थाईलैंड,
विएतनाम)
और
इसके
6
प्रमुख
एफटीए
सहयोगी
देश
चीन,
जापान,
भारत,
दक्षिण
कोरिया,
ऑस्ट्रेलिया
और
न्यूजीलैंड
के
बीच
एक
मुक्त
व्यापार
समझौता
है।
इन
देशों
के
बीच
पारस्परिक
व्यापार
में
टैक्स
में
कटौती
के
अलावा
कई
तरीके
की
आर्थिक
छूट
दी
जाएगी।
हालांकि,
माना
जा
रहा
है
कि
इससे
भारत
को
नुकसान
होगा।
विश्लेषकों
के
अनुसार,
आरसीईपी
समझौता
भारतीय
किसानों,
दुकानदारों,
छोटे
और
मध्यम
उद्यमियों
के
लिए
मुसीबत
लाएगा।
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