दिल्ली: कोरोना महामारी ने छीना 63% घरेलू कामगारों से रोजगार, घर चलाना हुआ मुश्किल
नई दिल्ली, मई 16: पिछले साल कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया था। हालांकि उसे बाद चीजें धीरे-धीरे पटरी पर लौटना शुरू हुई तो कोरोना की दूसरी लहर ने सब कुछ तबाह कर दिया। दूसरी लहर के बाद अचानक नए कोरोना के मामलों में भारी उछाल आया और फिर राज्य सरकारों ने धीरे-धीरे सख्त पाबंदियां लगाते हुए लॉकडाउन लगा दिया। इस कोरोना महामारी से भारी संख्या में लोगों की नौकरी गई हैं। स्थिति यह हो गई कि जिन लोगों का रोजगार छूटा है, उनके घरों में आर्थिक संकट इस कदर हावी हो गया कि घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। इन्हीं में से एक हैं घरेलू कामगारों, जिन्होंने महामारी के बाद से अपनी नौकरी खो दी है।
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एक रिपोर्ट के जरिए पता चला है कि दिल्ली में 63 फिसदी घरेलू कामगारों (मकानों में कपड़े, बर्तन, झाड़-पोछा और खाना बनाने वाली महिलाओं) ने महामारी के बाद से नौकरी खो दी हैं। दक्षिण दिल्ली में 480 घरेलू कामगारों के बीच राष्ट्रीय घरेलू कामगार आंदोलन और बंदुआ मुक्ति मोर्चा द्वारा किए गए एक संयुक्त सर्वे से पता चलता है कि केवल 37.5% घरेलू कामगार अभी भी काम कर रहे हैं और कमा रहे हैं, जो लोग अभी भी घरों में जाते हैं उनमें से अधिकांश केवल एक या दो घंटे के लिए काम करते हैं। अभी भी काम करने वाले श्रमिकों में 36% बहुसंख्यक को प्रतिदिन 31-60 रुपये का भुगतान मिलता है। केवल 1% को 250 रुपये से अधिक का भुगतान किया जाता है।
बंदुआ मुक्ति मोर्चा (बीएमएम) ने हाल ही में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार को पत्र लिखकर इन घरेलू कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा का आग्रह किया था। बीएमएम के महासचिव निर्मल गोराना ने बताया कि चूंकि घरेलू काम असंगठित क्षेत्र में आते हैं और अधिकांश श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं, हमने सरकार से प्रत्येक परिवार को 10,000 रुपये प्रति माह प्रदान करने का अनुरोध किया। पिछले 15 दिनों में इनकी हालत और खराब हुई है। हमने उनके लिए मुफ्त राशन की भी मांग की है।
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बता दें कि राजधानी दिल्ली में कोविड के मामले बढ़ने के साथ लोग उन्हें घर बुलाने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में उनकी नौकरी छूट गई है। कोरोना महामारी से उपजे हालातों के बाद इन लोगों का घर चलाना भी बहुत मुश्किल हो गया है। यहां तक की दिल्ली में किराए के घर पर रहते हुए किराया नहीं दे पा रहे है। रोजी-रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।