कोरोना के डर से सरकारी अस्पतालों ने टरकाया, जुड़वां बच्चों सहित मां की हुई मौत
देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक सात महीने की गर्भवती महिला इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काटती रही, लेकिन सही समय पर इलाज न मिलने के कारण उसने दम तोड़ दिया। स्थानीय एमएलए के हस्तक्षेप के कारण पांचवें हॉस्पिटल में उसे भर्ती कराया गया। जहां खून की कमी होने के चलते महिला की मौत हो गई। फिलहाल इस मामले में डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने जांच बैठा दी है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सात महीने के जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद उसकी गुरुवार को मौत हो गई। इस मामले में उत्तराखंड के हेल्थ विभाग के सेक्रेट्री, चीफ मेडिकल ऑफिसर और डीएम ने तीन अलग-अलग जांच कराने के आदेश जारी किए है। वहीं, दूसरी ओर महिला के परिजनों की मानें तो 09 जून को घर में दो जुड़वा बच्चों को जन्म देने के बाद महिला की हालत बिगड़ गई। नवजातों की भी देखभाल के अभाव में मृत्यु हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती होने का प्रयास किया, लेकिन डॉक्टरों द्वारा यह कहकर टाल दिया गया कि डिलीवरी 9वें महीने में होगी, लेकिन उसने 7वें महीने में ही बच्चों को जन्म दे दिया। नवजातों की मौत के तीन दिन बाद उसकी भी मौत हो गई।
7वें
महीने
में
दिया
बच्चों
को
जन्म
मृतक
सुधा
सैनी
का
पति
कमलेश
बिहार
से
है,
जो
पिछले
6
साल
से
देहरादून
में
रह
रहा
है।
कमलेश
ने
बताया
कि
उसकी
पत्नी
को
दून
अस्पताल,
गांधी
अस्पताल,
कोरोनेशन
अस्पताल
और
दो
निजी
अस्पतालों
ने
भर्ती
करने
से
मना
कर
दिया।
वह
सुधा
को
गांधी
अस्पताल
से
भी
वापस
ले
आया
क्योंकि
डॉक्टरों
ने
कहा
कि
उसकी
गर्भावस्था
के
सिर्फ
7
महीने
हैं
और
उसे
9वें
महीने
में
आना
चाहिए।
क्या
कहा
सीएमओ
ने
वहीं,
सीएमओ
डॉ.
बीसी
रमोला
ने
बताया
कि
जहां
तक
उन्हें
जानकारी
मिली
है,
महिला
को
परिजन
कोरोनेशन,
गांधी
अस्पताल,
दून
अस्पताल
और
दो
निजी
अस्पतालों
में
ले
गए
थे।
कहां
क्या
स्थिति
रही,
इलाज
क्यों
नहीं
मिला,
किस
स्तर
पर
चूक
हुई।
इसकी
जांच
कराई
जाएगी।
लापरवाही
बरतने
वालों
को
बिल्कुल
नहीं
बख्शा
जाएगा।
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