ऋषिकेश: ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला को दुरुस्त करेंगे ग्राफिक एरा के एक्सपर्ट
देहरादून। ऋषिकेश के ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला पुल को स्थायी तौर पर बंद कर इसे प्राचीन धरोहर के रूप में संरक्षित रखने की योजना पर सरकार पुनर्विचार कर सकती है। देहरादून के एक निजी विश्व विद्यालय की टीम ने जर्जर हो चुके इस पुल को अत्याधुनिक तकनीक की मदद से दुरुस्त करने और पहले जैसा बना देने का दावा किया है। बहरहाल आईआईटी रुड़की के विशेषज्ञों की सलाह पर लोक निर्माण विभाग ने इस पुल पर सभी प्रकार के आवागमन को रविवार को बंद कर दिया था।
मंगलवार को ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने सीएम त्रिवेन्द्र रावत से भेंट की। विवि के प्रो. पार्थो सेन ने कहा कि अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग करके इस पुल को बचाया जा सकता है और पहले की तरह इस पर आवागमन चालू किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि इस पुल के लिए तकनीकी अध्ययन आई.आई.टी के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। उनकी सलाह के मद्देनजर ही जन सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसमें आवाजाही बन्द की गई है।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद भी यदि इसके संरक्षण में कोई तकनीकी जानकारी प्राप्त हो सकती है तो इस दिशा में भी पहल की जा सकती है। उन्होंने ग्राफिक ऐरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से सभी तकनीकी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्ययोजना बनाने को कहा। उन्होंने कहा कि आईआईटी की रिपोर्ट के हर पहलू का गहनता से अध्ययन किया जाए।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत का कहना है कि लक्ष्मण झूला पुल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर है। प्रारम्भ में इसके एक स्क्वायर मीटर में 200 किलो भार क्षमता आंकी गई थी। वर्तमान में इसका पिलर झुक रहा है, जिस कारण भार क्षमता कम हो गई है। आज आधुनिक तकनीक के दौर में इसे कैसे ठीक किया जा सकता है यह देखा जायेगा।
फिलहाल इस पुल पर आवागमन बंद होने से गंगा के दोनों ओर रहने वाले लोगों. व्यापारियों, तीर्थ यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। विकल्प के तौर पर रामझूला पुल है जो दो किमी दूर है। खास बात यह है कि कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों कावड़िये गंगा पार जाने के लिए इस पुल का इस्तेमाल करते हैं।