उत्तराखंड के रुड़की में इस महीने 30 लोगों की मौत, कोरोना को बताया जा रहा जिम्मेदार
इस महीने उत्तराखंड के रुड़की के एक गांव के कम से कम 30 लोगों की जान चली गई। स्थानीय लोगों ने कहा कि सभी कोरोना जैसे लक्षणों से जूझ रहे थे।
देहरादून, 17 मई। भारत में कोरोना वायरस अपना कहर बरपा रहा है। अभी यह स्थिति कब तक रहेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। हर रोज हजारों की संख्या में लोग मर रहे हैं। हालात ये हो गये हैं कि कोरोना ने अब शहर के साथ साथ गांववालों को भी अपनी जद में लेना शुरू कर दिया है। इस महीने उत्तराखंड के रुड़की के एक गांव के कम से कम 30 लोगों की जान चली गई। स्थानीय लोगों ने कहा कि सभी कोरोना जैसे लक्षणों से जूझ रहे थे।
हालांकि स्थानीय प्रशासन ने लिब्बरहेरी गांव में मरे लोगों की संख्या का ठीक-2 आंकड़ा नहीं दिया है लेकिन ये कबूल किया है कि कुछ लोगों की मौत जरूर हुई है। उत्तराखंड सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन लोगों की मौत के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए विभिन्न विभागों की टीम को भेजा गया है। रुड़की के संयुक्त मजिस्ट्रेट नमामि बंसल ने बताया कि, 'हमारे पास अभी तक ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है जिससे यह कहा जा सके कि इन लोगों की मौत कोरोना वायरस के कारण हुई है। हो सकता है ये मौतें कोरोना के कारण हुई हों या फिर बुखार या अन्य बीमारी से, लेकिन हमने गांव के हर कोविड-19 संदिग्ध की जांच के लिए अपने प्रयास तेज कर दिए हैं।'
यह भी पढ़ें: नोएडा-गाजियाबाद में कोरोना से राहत: नए मरीजों के साथ मौतों की रफ्तार भी थमी
वहीं, गांव वालों का मानना है कि मरने वालों में से कुछ लोग महाराष्ट्र से लौटे थे। महाराष्ट्र में वे लोग काम करते थे और वहीं से ये लोग कोरोना वायरस को गांव में लेकर आए। लिब्बरहेरी गांव की आबादी लगभग 12 हजार के है। गांव के ही एक 35 वर्षीय धर्मेंद्र ने कहा कि, 'मेरा भाई कोरोना के कारण मर गया और अन्य लोग भी मर गए। कई सारे लोग अभी भी इस घातक संक्रमण से घिरे हुए हैं।'
गांव में कोरोना फैलने की आशंका को देखते हुए 10 मई को गांव में आरटी-पीसीआर टेस्ट की सुविधा शुरू की गई थी। आरटी-पीसीआर टेस्ट में 71 लोगों में से 10 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए। परीक्षण शिविर का आयोजन करने वाले समूह के एक सदस्य शुभम कुमार ने इस बात की जानकारी दी। शुभम में आगे कहा कि, 'स्थानीय लोगों की भी गलती है। उन्हें अभी भी कोविड -19 के बारे में पता नहीं है। हमारे प्रयासों के बावजूद, वे परीक्षण के लिए बाहर नहीं आए।'