चमोली में फिर मंडराया खतरा, भूगर्भ वैज्ञानिक ने किया ऋषिगंगा के मुहाने पर एक और झील बनने का दावा
देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को ग्लेशियर फटने से आई आपदा में अब तक 36 लोगों के शव मिल चुके है। वहीं, 168 लोग अभी भी लापता है। तपोवन टनल के अंदर अभी भी लोगों के जिंदा बचे होने की उम्मीद है, जिन्हें बचाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आर्मी और आईटीबीपी के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए है। इसी बीच गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि चमोली जिले के ऊपर अभी एक और खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, विज्ञानिकों ने दावा किया है कि चमोली जिले में ऋषिगंगा के मुहाने पर एक और झील बन गई है। अगर यह टूटी तो फिर बड़ा हादसा हो सकता है।
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उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि ग्लेशियर फटने से आई आपदा में 204 लोगों में से अब तक 36 शव बरामद किए जा चुके है। वहीं, 168 लोग अभी भी लापता है, तपोवन टनल के अंदर अभी भी लोगों के जिंदा बचे होने की उम्मीद है, जिन्हें बचाने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आर्मी और आईटीबीपी के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हुए है। इस बीच गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञानी डा. नरेश राणा ने दावा किया है कि आपदा प्रभावित चमोली जिले में ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई है। उन्होंने इसकी रिपोर्ट विवि प्रशासन को भी सौंप दी है।
डा. राणा ने बताया कि मलबे से बनी झील के कारण ऋषि गंगा अवरुद्ध हो गई है। जिससे भविष्य में फिर ऋषि गंगा में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस झील का आकार 10 से 20 मीटर है। कहा कि झील का सही आकार अभी पता नहीं चल सका है। हालांकि, अगर यह झील आकर में बढ़ती रही और बाद में टूटी तो बड़ा हादसा हो सकता है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह झील ग्लेशियर टूटने के बाद जो मलबा नीचे आया है, उसकी वजह से ये झील बनी हो।