काफिले के साथ बद्रीनाथ जा रहे विधायक अमनमणि त्रिपाठी पर केस दर्ज, सीएम योगी का नाम लेकर बनवाया था पास
देहरादून। महाराजगंज जिले की नौतनवा सीट से निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी के खिलाफ उत्तराखंड के टिहरी जिले में मुकदमा दर्ज किया गया है। अमनमणि पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का आरोप है। वह सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट के पितृ कार्य में शामिल होने का हवाला देकर बद्रीनाथ-केदारनाथ जाना चाहते थे। हालांकि, सीएम योगी के भाई महेंद्र ने किसी भी पितृ कार्य से इनकार किया है। चमोली के जिला प्रशासन ने बद्रीनाथ के कपाट नहीं खुलने का हवाला देते हुए उन्हें चमोली जिले की सीमा से लौटा दिया।
उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव का अनुमति पत्र
दरअसल, अमनमणि त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट का पितृ कार्य पूरा करने के लिए अनुमति मांगी थी। उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने 11 लोगों की अनुमति जारी की थी। देहरादून से लेकर चमोली तक अमनमणि त्रिपाठी को पूरा प्रोटोकॉल दिया। अनुमति पत्र के अनुसार, 3 मई को इन्हें श्रीनगर से बद्रीनाथ, 5 मई को बद्रीनाथ से केदारनाथ और 7 मई को केदारनाथ से वापस देहरादून जाना था।
विधायक ने एसडीएम से की बदसलूकी, डॉक्टर को दिखाया रौब
अमनमणि तीन वाहनों के काफिले के साथ चमोली पहुंचे, जिनमें से दो वाहन यूपी और एक उत्तराखंड के नंबर का था। अमनमणि त्रिपाठी ने एसडीएम कर्णप्रयाग के साथ बदसलूकी कर दी और फिर मामला मीडिया में आ गया। आरोप है कि अमनमणि त्रिपाठी ने गौचर में डॉक्टर और स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों के साथ बदसलूकी की और रौब दिखाते रहे। कर्णप्रयाग के एसडीएम का कहना है कि अमनमणि त्रिपाठी अन्य लोगों के साथ यूपी से आए थे। उनके पास 3 वाहन थे। उन्हें गौचर बैरियर पर रोक दिया गया। उन्होंने बैरियर पर रोकने के बावजूद पार किया और कर्णप्रयाग पहुंच गए। उन्होंने डॉक्टरों से बहस की और स्क्रीनिंग में सहयोग नहीं किया। वे बहुत समझाने के बाद लौटे। अमनमणि के खिलाफ टिहरी के मुनी की रेती थाने में महामारी अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया गया है।
सीएम के भाई ने किसी भी तरह के पितृ कार्य से किया इनकार
'आज तक' की खबर के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भाई महेंद्र ने किसी भी तरह के पितृ कार्य को नकारा है। उन्होंने कहा कि पिता स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट की अस्थियों को प्रवाहित किया जा चुका है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिरी इजाजत किस आधार पर दी गई। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बावजूद अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड में प्रवेश कैसे करने दिया गया है। बता दें, कोरोना वायरस की वजह से पूरे देश में डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू है। डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत धार्मिक प्रतिष्ठान पूरी तरह से आम जनता के लिए बंद है। बावजूद इसके अमनमणि त्रिपाठी को इजाजत क्यों दी गई?
क्या कहते हैं अधिकारी?
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति भदौरिया ने कहा कि अभी श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले नहीं है। वहां होटल, लॉज, धर्मशाला, पुलिस स्टेशन, अस्पताल समेत कुछ भी शुरू नहीं हुए हैं। ये सभी व्यवस्थाएं एक सप्ताह पहले शुरू होती हैं। ऊपर से यात्रा अभी शुरू नहीं हुई है। ऐसे में बदरीनाथ धाम जाने की मंजूरी नहीं दी जा सकती थी। जिलाधिकारी देहरादून डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा, शासन से मिले पत्र के आधार पर अमनमणि त्रिपाठी परिवार से जुड़े लोगों को बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम जाने की अनुमति दी गई। शासन के पत्र में हवाला दिया गया कि इन लोगों को यूपी के मुख्यमंत्री के पिता के तर्पण के लिए जाना है। इसी आधार पर अनुमति दी गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने किया खंडन
उत्तर प्रदेश सरकार ने उस खबर का खंडन किया है जिसमें कहा जा रहा है कि विधायक अमनमणि त्रिपाठी को उत्तराखंड जाने के लिए आधिकारिक आदेश जारी किए गए। सफाई देते हुए सरकार ने कहा कि विधायक अपनी जिम्मेदारी पर उत्तराखंड गए थे न कि उनको सरकार ने इस यात्रा के लिए कहा था। सीएम योगी को इस घटना के साथ जोड़ना निंदनीय है।