अलकनंदा के तट पर फेंका जा रहा है कूड़ा, जंगली जानवर आते हैं खाने, स्कूली बच्चों की राह रुकी
पीपलकोटी/चमोली। देवभूमि उत्तराखंड में नगर पंचायत पीपलकोटी की सीमा के पास अलकनंदा के तट पर कूड़े के ढेर जमा हैं। यहां एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रीब्यून) के नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं। साफ पानी के प्रवाह और हरियाली वाली जगह पर खूब प्रदूषण फैल रहा है। इससे गंगा नदी भी प्रदूषित हो रही है। चाडाकोड़ी नामक स्थान पर इतना कूड़ा-कचरा फेंका जा रहा है कि असर अलकनंदा नदी पर पड़ने लगा है। जंगल से पशु-पक्षी भी खाने की तलाश में इधर आ जाते हैं। भालू, बंदर और अन्य काट खाने वाले जानवर आए रोज देखने को मिल रहे हैं। नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों को स्वच्छता पुरस्कार के तौर पर भारी धनराशि भी जारी होती है, मगर यहां तो कूड़ा निस्तारण के लिए डंपिंग जोन ही नहीं है।
तेजी से फैल रही गंदगी, डंपिंग जोन ही नहीं है
इस मामले में जब नगर पंचायत पीपलकोटी के अधिशासी अधिकारी टंकार कौशल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पीपलकोटी नगर पंचायत क्षेत्र के जिस स्थान पर कूड़ा डाला गया है, उस कूड़े को नगर पंचायत ने नहीं डाला है। नगर पंचायत का कूड़ा डंपिंग जोन अभी निर्माणाधीन है। यदि कहीं पर इस तरह से कूड़ा निस्तारित किया जा रहा है तो इस पर ध्यान दिया जाएगा। कार्रवाई भी करेंगे।''
बढ़ते कूड़े-कचरे से हरे-भरे पेड़-पौधों को हो रहा नुकसान
यहां बढ़ते कूड़े-कचरे से हरे-भरे पेड़-पौधों को भी नुकसान पहुंच रहा है। मगर, यहां मंत्री से लेकर आलाधिकारी सब लापरवाह हैं। जबकि, आए रोज इस मार्ग से उनके वाहन भी गुजरते हैं। ऐसे में सोचने वाली बात यह भी है कि इतनी भारी मात्रा में कूडा आ कहां से रहा है।
स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा
पीपलकोटी नगर पंचायत क्षेत्र के अंर्तगत ये जो कूडा डाला जा रहा है, आसपास घने जंगल हैं। खाने की तलाश में भटकते जंगली जानवरों के यहां आने से राहगीरों की मुश्किल भी बढ़ गई हैं। स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बना हुआ है।
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