उत्तराखंड: 3 बजे ही राज भवन पहुंच गए हरीश, भाजपा में शुरू हो गई CM की चर्चा
भाजपा कैंप में उत्सव मनाए जाने के साथ ही पार्टी के मुख्यमंत्री कैंडिडेट की चर्चा शुरू हो गई।
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 70 में से 57 सीटें मिली हैं। कांग्रेस मोदी लहर में बुरी तरह से बह गई। सत्ताधारी दल रही कांग्रेस को 2012 में 32 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार उन्हें 12 सीट से ही संतोष करना पड़ा। इतना ही नहीं खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद दोनों सीट हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से हार गए।
रावत की कैबिनेट के कई साथी भी हार गए। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रमुख किशोर उपाध्याय भी चुनाव हार गए। हालांकि खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत सीट पर हार हए।
बसपा, सपा और उत्तराखंड क्रांति दल सरीखे क्षेत्रीय दलों को जीत ही हासिल नहीं हुई। कई निर्दलीय उम्मीदवार जिनके जीतने की उम्मीद थी, वो सभी हार गए। माना जा रहा था कि ये लोग किंगमेकर साबित होंगे लेकिन सिर्फ 2 निर्दलीय ही जीत सके।
इतना ही नहीं आखिरी फैसला आने से पहले ही मुख्यमंत्री हरीश रावत गए 11 मार्च को 3 बजे के आस-पास राज्यपाल के.के. पॉल के पास गए और इस्तीफा सौंपा। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों को बताया कि पार्टी का नेता होने के नाते से वो हार और जनता का फैसला स्वीकार करते हैं। हालांकि वो भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर सवाल उठाने से नहीं चूके। रावत ने कहा कि मैं मोदी क्रांति और ईवीएम चमत्कार को नमन करता हूं।
जब पार्टी के घोर पराजय के बारे में पूछा गया तो रावत ने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस बड़ी रैलियों को वोट में तब्दील नहीं कर पाई। रावत ने कहा कि मैं सिर्फ इतना कहना चाहूंगा कि जनता ने एक दल चुना है और हमें विपक्ष में बैठने का मौका दिया और हम उनके फैसले का सम्मान करते हैं।
वहीं दूसरी ओर भाजपा कैंप में उत्सव मनाए जाने के साथ ही पार्टी के मुख्यमंत्री कैंडिडेट की चर्चा शुरू हो गई। संभावना जताई जा रही है कि सतपाल महराज, त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी मुख्यमंत्री की रेस में शामिल हो सकता है।
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