लोकसभा चुनाव 2019: बांदा-चित्रकूट से ताल ठोकने को तैयार हैं पूर्व दस्यु सम्राट मलखान सिंह, भाजपा से मांगा टिकट
Chitrakoot News, चित्रकूट। बुंदेलखंड (Bundelkhand) में दहशत का दूसरा नाम रहे चंबल के दस्यु सम्राट मलखान सिंह (Malkhan-Singh) ने इस बार लोकसभा चुनाव 2019 में उतरने की तैयारी कर ली है। मलखान सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांगा है और कहा है कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस या दूसरे दलों से टिकट लेकर चुनाव लड़ेंगे। भाजपा का समर्थन करने वाले व विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का प्रचान प्रसार करने वाले मलखान सिंह कई बार मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह के साथ मंच भी साझा करते नजर आये थे और तभी यह अंदाजा हो गया था कि आने वाले समय में मलखान सिंह भी सक्रिय राजनीति में उतरेंगे।
80 के दशक में कांपते थे लोग
80 के दशक में मलखान सिंह के नाम से थरथर कांपते लोगों के बीच मलखान सिंह की इमेज इस समय एक समाजसेवी की है। जिसने बंदूक भी अपनी जाति व लोगों के लिए इंसाफ के लिए उठायी थी। फिलहाल पूर्व डकैत सरदार ने मीडिया से बात करते हुए साफ लहजे में भाजपा से कह दिया है कि वह चुनाव लड़ेंगे और भाजपा उन्हें अगर टिकट नहीं देती तो वह बगावत करने से नहीं चूकेंगे। मलखान का कहना था कि उन्होंने हमेशा उत्पीडऩ के खिलाफ आवाज उठाई है, आगे भी उत्पीडऩ को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
दमखम वाली राजनीति करेंगे मलखान
बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर मलखान सिंह का ताल ठोकना अचरज से भरा फैसला नहीं है और न ही उनका चुनाव लड़ना हवा में तीर चलाने जैसा कार्य। बल्कि मलखान सिंह के पास दमखम वाली राजनीति करने की कुव्वत है। दरअसल खंगार क्षत्रिय के सजातीय वोटों की संख्या इस इलाके में 2 लाख से अधिक है और सजातीय वोटो पर मलखान सिंह की पकड़ को कोई इंकार भी नहीं कर सकता। अखिल भारतीय खंगार क्षत्रिय महासभा के गठन के बाद वैसे भी मलखान ने अपने जातीय लोगों के उत्थान की मुहिम छेड़ रखी है, जिसने उनकी इमेज को पूरी तरह से बदला है। यही कारण है कि दास्यु सरगना को अपनी जीत और अपने दमखम पर पूरा भरोसा भी नजर आ रहा है और वह टिकट न मिलने पर सीधे दूसरे दलों को वरीयता देने की बात कह रहे हैं। वैसे भी इस सीट पर स्थानीय लोगों की जगह बाहरियों को ही टिकट दिए जाने का क्रम काफी दिनों से लगभग हर पार्टी कर रही है, ऐसे में मलखान सिंह का विकल्प बड़ा नाम बनकर सामने आ रहा है।
दिलचस्प होगा चुनाव
बुंदेलखंड इलाके में खासकर सीतापुर, चित्रकूट, बांदा जैसे इलाकों में जब भी चुनाव हुए इन पर डाकुओं का साया रहा। डाकुओं ने हमेशा से यहां पर होने वाले चुनाव को प्रभावित भी किया। कई ऐसे मौके आये जब डाकुओं के खौफ से चुनाव नहीं हुये। लेकिन इस बार पूर्व डकैत का चुनाव में सीधे उतरना चुनाव काफी रोचक बना रहा है। मलखान सिंह की आमद यहां के चुनावी माहौल में सरगर्मी बढ़ाएगी और यह तय है कि बड़े-बड़े धुरंधरों के समीकरण इस बार ध्वस्त हो जायेगे। मलखान सिंह के चुनाव मैदान में उतरने के बाद अब बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर चुनाव बेहद ही दिलचस्प होगा। अब दलगत राजनीति के सहरे हार जीत की गुणा गणित कर रहे लोगों को मलखान सिंह बेहद ही कडी टक्कर देंगे। वैसे भी खंगार जाति के लोगों की संख्या पूरे यूपी में 55 लाख के आस पास है, ऐसे में भाजपा भी मलखान सिंह को नाराज नहीं करना चाहेगी। क्योंकि मलखान को साधने से जाति वोटों को साधने में भी भाजपा सफल होगी। स्थानीय राजनीति में मलखान सिंह की इस सियासी पारी को गेमचेंजर पारी के तौर पर देखा जा रहा है। जो भाजपा के वोटों की संख्या में उछाल ला सकती है।
बड़े दलों से मिल सकता है टिकट
मलखान सिंह की सियासी पारी की शुरूआत इस लोकसभा चुनाव से हो रही है। वह वरीयता क्रम में भाजपा से ही चुनाव लड़ना चाहते हैं और सीधी उन्होंने टिकट भी मांगा है। मलखान सिंह ने साफ किया कि वह टिकट के लिए कई दलों से संपर्क में हैं। अगर भाजपा टिकट देती है तो ठीक है, नहीं तो कांग्रेस समेत दूसरे दलों के दरवाजे उनके लिए खुले हैं और वह किसी दल से परहेज नहीं करेंगे। क्योंकि उन्हें दलगत राजनीति नहीं बल्कि समाज के लिए वह राजनीति करने आ रहे हैं।
भाजपा से दो सीटों की मांग
मलखान सिंह के संगठन अखिल भारतीय खंगार क्षत्रिय महासभा ने भारतीय जनता पार्टी से दो टिकट मांगा है। जिसमें पहली सीट बांदा-चित्रकूट है और दूसरी सीतापुर जिले की मिश्रिख लोकसभा सीट है। इन दोनों सीटों पर खंगार जाति के लोगों की संख्या बाहुल्यता में है। मलखान सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कभी किसी प्रमुख दल ने खंगार जाति के लोगों को टिकट नहीं दिया, बस उनका वोट लेते रहे हैं। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में प्रदेश की दो संसदीय सीटों बांदा और सीतापुर (मिश्रिख) खंगार समाज को न दी गईं तो हम अपने स्वाजातीय वोटों के साथ भाजपा की जगह दूसरे दल कांग्रेस को तरजीह देंगे। हमें बगावत से कोई गुरेज नहीं, हमारी संख्या यूपी में 55 लाख से अधिक है, जो हमें टिकट देगा हम उसका सपोर्ट करेंगे।
कौन हैं मलखान सिंह
बुंदेलखंड में चंबल से लेकर एमपी के जंगलों तक 70-80 के दशक में मलखान सिंह के खौफ से पुलिस भी थर्राती थी और उस जमाने का सबसे खूंखार डकैत मलखान सिंह को ही कहा जाता था। 6 फिट लंबे, बडी मूंछे, गुस्से से लाल आंखे और रौबदार चेहरा से डरावनी आवाज सुनकर लोग कांप उठते थे। हर वक्त कंधे में लोडेड बंदूक और हाथ में हेली लाउडस्पीकर होता था। मलखान सिंह ने कितनी हत्या की कितना अपराध किया इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा पाया करता था। लिखित तौर पर मलखान सिंह के उपर 32 पुलिस कर्मियों सहित 185 हत्याओं का आरोप था। लंबे समय तक मलखान ने बीहडों पर राज किया और उसे चंबल का शेर कहा जाता था। मलखान का खौफ इतना था कि दिन के उंजाले में भी पुलिस टुकडी कभी बीहड में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी। हालांकि 1980 में मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने मलखान सिंह ने अपनी गैंग के साथ सिरेंडर कर दिया। सरेंडर के बाद मलखान को नया जीवन शुरू करने के लिए भूदान आंदोलन में रहने-बसने के लिए जमीन दी गई थी। इसके बाद मलखान ने अपने जीवन को समाजसेवा और भक्ति पूजा में लगा दिया। अब मलखान का पूरा समय अपने गांव भिंड में मंदिर में पूजापाठ और समाजसेवा में गुजरता है।
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