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किस्मत का खेल देखिए, नहीं रहे पिता ,मां ने छोड़ा बच्चों का साथ,अब कलयुगी मां को सबक सिखाएगी पुलिस !

छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक बेहद ही मार्मिक मामला सामने आया है, जिसमे पिता की मौत के बाद दो बच्चों की मां ने 5 साल तक पेंशन अपने खाते में ली ,उसके बाद नया साथी तलाशकर अपने बच्चों को छोड़कर चली गई।

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कांकेर, 28 जून। जिस उम्र में बच्चों को अपने माता पिता के प्यार की जरूरत होती है,उस उम्र में उन्हें दुनिया में बने रहने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक बेहद ही मार्मिक मामला सामने आया है, जिसमे पिता की मौत के बाद दो बच्चों की मां ने 5 साल तक पेंशन अपने खाते में ली ,उसके बाद नया साथी तलाशकर अपने बच्चों को छोड़कर चली गई। अब बच्चे ना केवल अनाथ हो चुके हैं,बल्कि उनके पास कोई सहारा भी नहीं बचा है।

पिता नहीं रहें,मां चली गई छोड़कर

पिता नहीं रहें,मां चली गई छोड़कर

कांकेर जिले में ममता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है,जहां भानुप्रतापपुर ब्लॉक के कोड़ेकुर्से में रहने वाले एक बाल आरक्षक की कहानी आपको भावुक कर देगी। पुलिस विभाग में पदस्थ रहे पिता की मृत्यु के बाद 12 साल के एक बच्चे की कोरबा जिले में अनुकंपा नियुक्ति दी गई। इस बच्चे के पिता 5 साल पहले दंतेवाड़ा में अपने सेवाएं दे रहे थे। पिता के गुजर जाने के मात्र 2 महीने बाद मां ने भी अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ लिया और वह अपने 12 के बेटे और 10 साल की बेटी को छोड़कर कहीं चली गई।

पेंशन लेती है मां ,बच्चे स्कूल फीस के लिए तरस रहे

पेंशन लेती है मां ,बच्चे स्कूल फीस के लिए तरस रहे

मासूम बच्चो का सब कुछ छिन चुका है, क्योंकि मरहूम पिता की पेंशन मां के खाते में जा रही है , जिसकी वजह से बच्चों को जीवन यापन करने में दिक्क्तों का सामना करना पड़ रहा है। दोनों बच्चे अपने दादा के साथ रह रहे हैं। आर्थिक तंगी के कारण बच्चों की पढाई को लेकर भी समस्या बनी हुई है। यह मामला एसपी शलभ सिन्हा तक पहुंचने के बाद अब सुलझता नजर आ रहा है। कांकेर एसपी ने बच्चों की मां के खाते में पेंशन भेजे जाने पर रोक लगाने के तत्काल आदेश जारी कर दिए हैं। अब पेंशन बाल आरक्षक के खाते में डाली जाएगी।

यूनिसेफ वालों ने समझी पीड़ा ,एसीपी को कराया अवगत

यूनिसेफ वालों ने समझी पीड़ा ,एसीपी को कराया अवगत

यूनिसेफ में बाल अधिकार के लिए काम करने वाले अमनोल बेदरकर ने बताया कि बच्चों की तरफ से उन्हें जानकारी मिली थी कि वह अपने स्कूल की फीस भी नही दे पा रहे हैं। बच्चों ने उन्हें जानकारी दी कि उनके पिताजी पुलिस में थे, जिनके देहांत के बाद बेटे को बाल आरक्षक बनाया गया, लेकिन बीते 5 साल से पिता की पेंशन का पैसा मां के खाते में जा रहा है।

अमनोल बेदरकर ने बताया कि जैसे ही उन्हें पता चला कि बच्चों की माँ भी उन्हें छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ चली गई है, तो मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने बच्चो की मदद करने का फैसला लिया और सारे मामले की जानकारी कांकेर एसपी तक पहुंचाई।

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English summary
Look at the game of luck, the father is no more, the mother has left the support of the children, now the police will teach a lesson to the mother of Kali Yugi
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