छत्तीसगढ़ न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

गरीब किसान का यह बेटा बन गया है IPS, जानिए कैसे नापी कामयाबी की डगर

Google Oneindia News

जशपुर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले की पत्थलगांव विकासखंड में स्थित पाकरगांव के एक किसान परिवार का बेटा आईपीएस ऑफिसर बना है। उसका नाम है- डॉ. जितेंद्र कुमार यादव। जितेंद्र के इस मुकाम तक पहुंचने में उनके भाइयों का बड़ा योगदान रहा। उनके बड़े भाई शिक्षक नरेंद्र यादव और मंझले भाई संजय यादव ने पुलिस के उपनिरीक्षक के पद पर रहते हुए जितेंद्र की पढ़ाई कराई। संजय फिलहाल सुकमा जिले के चिंतागुफा में सब इंस्पेक्टर के तौर पर ड्यूटी करते हैं।

किसान के बेटे डॉ. जितेंद्र कुमार यादव की कहानी

किसान के बेटे डॉ. जितेंद्र कुमार यादव की कहानी

डॉ. जितेंद्र कुमार यादव अब छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार में अपनी आईपीएस वाली ट्रेनिंग लेंगे। उन्होंने 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव में की थी। उसके बाद 12वीं तक की पढ़ाई नवोदय विद्यालय से की। पढ़ाई में तेज होने के साथ साथ ही उन्हें सिविल सर्विसेज में जाने की चाहत होने लगी। उनकी इस ललक ने एक दिन सफलता की मंजिल तक पहुंचाया। जितेंद्र के भाई कहते हैं- 'जब जितेंद्र का सलेक्शन वेटनरी विश्वविद्यालय तमिलनाडु में हुआ था, तब से ही वे यूपीएससी की तैयारी शुरू कर चुके थे। मगर, पढ़ाई के लिए ज्यादा रकम की जरूरत पडऩे लगी, ऊपर से बीमार पिताजी के इलाज का खर्च भी चाहिए था।' ऐसी स्थिति में जितेंद्र के लिए भाइयों ने ही बीड़ा उठाया।

भाइयों ने ग्रेजुएशन से आगे की पढ़ाई नहीं की

भाइयों ने ग्रेजुएशन से आगे की पढ़ाई नहीं की

दोनों भाइयों संजय यादव और नरेंद्र यादव ने छोटे भाई के सपनों को पूरा करने हेतु अपनी पढ़ाई को ग्रेजुएशन से आगे नहीं बढ़ाया। छोटे यानी जितेंद्र के लिए ही वो कमाने लगे। तब जितेंद्र फिर सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गए। बाद में उनके बड़े भाई शिक्षक बन गए और मंझले भाई पुलिस के उपनिरीक्षक। इससे आर्थिक स्थिति सुधरते चली गई। वहीं, जितेंद्र अपने इन भाइयों के सहयोग से अपनी आगे की तैयारी पुख्ता करते रहे।

सबसे युवा IPS सफीन हसन जामनगर में आज संभालेंगे ASP का पदभार, बताया- कैसे पाई कामयाबीसबसे युवा IPS सफीन हसन जामनगर में आज संभालेंगे ASP का पदभार, बताया- कैसे पाई कामयाबी

यूपीएससी में 170वीं रैंक पाई, फिर सलेक्शन हुआ

यूपीएससी में 170वीं रैंक पाई, फिर सलेक्शन हुआ

वर्ष-2015 में फर्स्ट एग्जाम में ही जितेंद्र ने 379वीं रैंक पा ली। आईआरएस के लिए सलेक्शन हुआ और हरियाणा के रोहतक में 3 वर्षों तक जीएसटी सहायक आयुक्त के पद पर रहे। जितेन्द्र कुमार लगातार मेहनत करते रहे और वर्ष-2018 में फिर एक बार यूपीएससी में 170 रैंक पाई। इस तरह आईपीएस के लिए सलेक्शन हुआ।

मोटरसाइकिल मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, पिता ने यूं दिखाई कामयाबी की राहमोटरसाइकिल मैकेनिक का बेटा बना भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट, पिता ने यूं दिखाई कामयाबी की राह

2 बड़ी सरकारी नौकरी भी कर चुके हैं

2 बड़ी सरकारी नौकरी भी कर चुके हैं

तब उन्हें होमकैडर के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य ही मिला। एक और खास बात यह है कि, जितेन्द्र ने मद्रास विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया था। वह छत्तीसगढ़ में आबकारी विभाग एवं दिल्ली में पशु चिकित्सा विभाग में भी जॉब कर चुके हैं।

कभी स्कूटर पर बेचते थे सामान, अब है करोड़ों की कंपनी, बताई संघर्ष-सफलता की कहानीकभी स्कूटर पर बेचते थे सामान, अब है करोड़ों की कंपनी, बताई संघर्ष-सफलता की कहानी

सफलता का श्रेय मेहनत और परिवार को

सफलता का श्रेय मेहनत और परिवार को

वो कहते हैं कि, ''अपनी सफलता का श्रेय मैं अपने निरंतर प्रयास और परिवारजनों को दूंगा। मेरे दोनों भाइयों ने बहुत मदद की। अब उनके साथ से छोटे से गाँव से निकलकर देशसेवा के के उच्च पद तक पहुंचा हूं।''

Comments
English summary
story of IPS officer Dr Jitendra Kumar Yadav, a son of chhattisgarh belongs farmer
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X