मां के पेट से 24 हफ्ते में ही जन्मी मात्र 440 ग्राम की बच्ची, दिल में था छेद, आंतें थी कच्ची, फिर 22 दिन बाद हुआ कमाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ में भैरमगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) से एक अजब मामला सामने आया है। यहां एक औरत ने महज 24 हफ्तों के गर्भ को जन्म दिया। जन्म के वक्त शिशु का वजन महज 440 ग्राम और लंबाई 20 सेंटीमीटर ही थी। कोख से बाहर आते ही उसे निमोनिया हो गया। फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हुए थे, तो सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वह दूध भी नहीं पचा पा रही थी, क्योंकि उसकी आंतें विकसित नहीं हुई थीं। उसके दिल में भी छेद था। ऐसे में उसका बच पाना नामुमकिन लग रहा था।
छत्तीसगढ़ में देश की सबसे नन्ही नवजात का मामला
मगर, डॉक्टरों ने दिन-रात उसका इस तरह ध्यान रखा कि, उस नवजात बच्ची ने तमाम मुश्किलों को मात दे दी। यह काम बीजापुर के डॉक्टरों की टीम ने किया, जिनमें सीएमएचओ डॉ. बुधराम पुजारी, डॉ. लोकेश, डॉ. विवेक, डॉ. ज्योतिष, डॉ. विकास, डॉ. हर्ष, डॉ. अजय और डॉ. प्रशांत शामिल थे। साथ ही कुछ स्टॉफ नर्स भी थीं, सबने कोशिश की कि, ऐसी दुर्लभ नवजात बच्ची को बचाया जाए। डॉक्टरों ने पहले उस नवजात को वेंटीलेटर पर लिटाया। फिर, उसके दिल में जो छेद था, उसे दवाओं से भरना शुरू किया।
फिर दिन दर दिन आया सुधार, विकसित हुए अंग
नवजात में तीन बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया गया। नर्स रोज पल-पल पर उसकी देख-रेख करतीं। जिसके चलते उसकी हालत सुधरने लगी। उसका वजन बढ़ने लगा, तो अविकसित अंग भी पनपने लगे। उसके साथ ही मस्तिष्क का विकास, जो कि सबसे महत्वपूर्ण होता है, वो भी होने लगा। उसकी मां, यानी जच्चा को भी डॉक्टरों की देख-रेख में रखा गया। यह सब 5 अप्रैल से लगातार चलता रहा। उसके बाद 24 जून को डॉक्टरों ने खुशखबरी दी।
वजन 440 ग्राम था, फिर अस्पताल में ही 1.41 किलो की हुई
डॉक्टरों
ने
उस
बच्ची
को
पूरी
तरह
स्वस्थ
बताते
हुए
24
जून
को
अस्पताल
से
डिस्चार्ज
कर
दिया।
इस
मौके
पर
वहां
मौजूद
हर
शख्स
का
चेहरा
खिला
हुआ
था।
उसे
जन्म
देने
वाली
मां
और
उसके
पिता
भी
काफी
खुश
थे।
जिस
नवजात
का
वजन
440
ग्राम
था,
वो
अब
1.41
किलो
की
हो
चुकी
थी।
कई
लोगों
ने
कहा-
यह
मौत
को
हराने
वाली
देश
की
सबसे
नन्ही
इंसान
है!
स्वास्थ्य
विशेषज्ञों
ने
बताया
कि,
बच्चे
गर्भधारण
के
36वें
से
40वें
हफ्ते
में
जन्म
लेते
हैं।
तब
तक
उनका
हर
अंग
विकसित
हो
चुका
होता
है।
मगर,
इस
अवधि
से
पहले
जन्म
लेने
वाले
बच्चों
को
प्री-मैच्योर
बेबी
कहा
जाता
है
और
उनके
बचने
की
संभावना
कम
ही
होती
है।
सामान्यतौर
पर,
जन्म
के
समय
बच्चे
का
वजन
भी
दो
किलो
या
उससे
अधिक
होता
है।
'इतने दिनों बाद अब रिजल्ट बहुत अच्छा रहा'
एक डॉक्टर ने कहा कि, इस 'मिरेकल बेबी (चमत्कारी बच्चा)' को जन्म देने वाली मां का नाम राजेश्वरी गोंडे है। प्रसव पीड़ा से कराहती हुई वो 5 अप्रैल को भैरमगढ़ सीएचसी में आई थी। हमें बताया गया कि, अभी 24 हफ्ते का ही गर्भ है। तो भी हमने जच्चा-बच्चा दोनों को बचाने की ठानकर अपनी कोशिशें शुरू कर दीं। इतने दिनों बाद अब रिजल्ट बहुत अच्छा रहा।'
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पिता ने डॉक्टरों-नर्सों का आभार जताया
वहीं, राजेश्वरी गोंडे के पति ने कहा कि, 'जच्चा-बच्चा दोनों को बचाने का श्रेय बीजापुर के डॉक्टर व स्टॉफ को दूंगा। जिन्होंने यहां सीमित संसाधनों में सुरक्षित प्रसव करवाया। उसके बाद भी अच्छे से ख्याल रखा।'