जरूरत पड़ी तो लेंगे कर्ज, लेकिन किसानों को नहीं होने देंगे नुकसान: CM बघेल
नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच छत्तीसगढ़ में विधानसभा सत्र जारी है। इस दौरान गुरुवार को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए राज्य सरकार की पहली अनुपूरक मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमने विपरीत परिस्थितियों में भी किसानों की अर्थव्यवस्था को बिगड़ने नहीं दिया। अगर हमें कर्ज लेना है तो हम कर्ज लेंगे, लेकिन किसानों को नुकसान नहीं होने देंगे। सीएम के मुताबिक लोगों के विचार में विकास का माप सड़क और भवन हो सकता है, लेकिन हमारी नजर में विकास का उपाय किसानों, आदिवासियों और महिलाओं का उत्थान है। हमारी प्रतिबद्धता किसानों के प्रति है।
विधानसभा में चर्चा के बाद 3807 करोड़ 46 लाख रुपये की पहली अनुपूरक मांग को पारित किया गया। चर्चा के दौरान जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम राजीव गांधी किसान न्याय योजना लाए हैं। किसानों को धान का दाम 2500 रुपये प्रति क्विंटल मिला। इसमें किसानों को दो किस्तों का भुगतान किया गया है और बाकी किस्तों का भी भुगतान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 में जब नई सरकार आई थी, तब राज्य सरकार के खजाने में 400 करोड़ रुपये की राशि थी, लेकिन 15 साल बाद जब हमें शासन की जिम्मेदारी मिली, तो राज्य पर 41 हजार करोड़ का कर्ज था। वर्ष 2003 में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या 18 से 19 प्रतिशत थी, जो 15 साल बाद बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई।
बघेल ने कहा कि राज्य के 2.80 करोड़ लोगों के लिए छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया है। हम उनके लिए कर्ज ले रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान हमने गरीबों, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों को रोजगार देने का काम किया। 26 लाख लोगों को मनरेगा में काम दिया गया। राजीव गांधी किसान योजना का लाभ राज्य के 19 लाख किसानों को दिया जा रहा है। लघु वनोपजों के संग्रह के माध्यम से 12 से 13 लाख वनवासी परिवारों को रोजगार और आय प्रदान की गई है। यही कारण है कि व्यापार और उद्योग के पहिये छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन में भी आगे बढ़ते रहे।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान जन धन खातों में 500 रुपये और किसान निधि योजना में 500 रुपये दिए गए थे, जबकि लॉकडाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई गोधन योजना में पहला भुगतान 1 करोड़ रुपये था। इस योजना में गाय के गोबर को बेचने वाले प्रत्येक व्यक्ति को औसतन 800 रुपये मिले। इस योजना के लाभार्थियों में से 71 प्रतिशत भूमिहीन हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। राज्य सरकार का राजस्व भी कम हो गया था। 2828 करोड़ रुपये जीएसटी अभी तक केंद्र सरकार से नहीं मिला है। अगर यह राशि मिलती तो छत्तीसगढ़ को कर्ज नहीं लेना पड़ता।
चर्चा में आगे मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार के पहले अनुपूरक बजट में कोरोना के संकट से निपटने के लिए 978 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। कोरोना संक्रमित रोगियों के उपचार के लिए 30 समर्पित कोविड अस्पताल स्थापित किए गए हैं, जिनमें 3384 बेड उपलब्ध हैं। इसी तरह 178 समर्पित कोविड केयर सेंटर में 21 हजार 107 बिस्तरों की व्यवस्था की गई है। मौजूदा वक्त में सरकारी अस्पतालों में कोरोना के मरीजों का मुफ्त इलाज किया जा रहा है। निजी अस्पतालों में भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा आइसोलेशन के लिए 6 होटल रखे गए हैं। सीएम के मुताबिक राज्य में बेड और वेंटिलेटर्स की पर्याप्त व्यवस्था है।