लघु वनोपज की खरीद में छत्तीसगढ़ देश का अव्वल राज्य, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसलों का है ये असर
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा बीते दो सालों में वनवासियों एवं लघु वनोपज संग्राहकों के जीवन में तब्दीली लाने के क्रांतिकारी फैसलों ने औने-पौने दाम में बिकने वाले लघु वनोपज को अब मूल्यवान बना दिया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस फैसले का सीधा लाभ यहां के वनोपज संग्राहकों को मिलने लगा है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ राज्य आज लघु वनोपज के संग्रहण के मामले में देश का अव्वल राज्य बन गया है।
आपको बता दें कि देश का 73 प्रतिशत वनोपज क्रय कर छत्तीसगढ़ राज्य में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य है, जहां 52 प्रकार के लघु वनोपज को समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है। इससे वनवासियों एवं वनोपज संग्राहकों को सीधा लाभ मिल रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने लघु वनोपजों की खरीदी की व्यवस्था के साथ-साथ अब इनके वैल्यू एडीशन की दिशा में तेजी से पहल शुरू कर दी है। राज्य में वनांचल परियोजना शुरू की गई है। जिसका उद्देश्य वनांचल क्षेत्रों में लघु वनोपज आधारित उद्योगों की स्थापना कर वनवासियों द्वारा संग्रहित किए गए लघु वनोपज का मूल्य संवर्धन कर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
छत्तीसगढ़
सरकार
ने
लघु
वनोपज
आधारित
उद्योगों
के
प्रोत्साहन
के
लिए
राज्य
की
नई
उद्योग
नीति
में
कई
तरह
के
छूट
एवं
आकर्षक
पैकेज
देने
का
प्रावधान
किया
है।
जिसके
चलते
उद्यमी
अब
वनांचल
क्षेत्रों
में
वनोपज
आधारित
उद्योग
लगाने
के
लिए
आकर्षित
होने
लगे
हैं।
अब
तक
15
उद्यमियों
ने
वनांचल
क्षेत्रों
में
विभिन्न
प्रकार
के
वनोपज
आधारित
उद्योग
लगाने
के
लिए
राज्य
सरकार
को
75
करोड़
रूपए
के
पूंजी
निवेश
के
प्रस्ताव
सहित
आवेदन
दिया
है।
भूपेश
बघेल
की
विशेष
पहल
पर
वनोपज
संग्राहकों
को
उनकी
मेहनत
का
वाजिब
मूल्य
दिलाने
के
लिए
लघु
वनोपजों
के
क्रय
मूल्य
में
बढ़ोतरी
के
साथ-साथ
तेंदूपत्ता
संग्रहण
की
दर
को
2500
रूपए
प्रति
मानक
बोरा
से
बढ़ाकर
सीधे
4000
रूपए
प्रति
मानक
बोरा
किया
गया।
वर्तमान में राज्य में संग्रहित वनोपज ही केवल पांच फीसद हिस्से का ही प्रसंस्करण राज्य में होता है। इस स्थिति को बदलने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने वनांचल परियोजना प्रारंभ की गई है, बस्तर जैसे क्षेत्र में वनोपज आधारित उद्योग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आकर्षक सब्सिडी का प्रावधान किया गया है। इस योजना से उत्साहित होकर बस्तर क्षेत्र में 15 उद्यमियों ने लघु वनोपज आधारित उद्योग स्थापित करने हेतु अपनी सहमति दी है। इनके साथ एम.ओ.यू प्रक्रियाधीन है।