राम रहीम को जेल से बाहर लाने के तिकड़म क्यों भिड़ा रही खट्टर सरकार?
चंडीगढ़। साध्वियों के साथ रेप के मामले में 20 साल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को पैरोल दिए जाने के मामले में हरियाणा सरकार कुछ खास दिलचस्पी ले रही है। पूरी सरकार किसी भी तरह डेरा प्रमुख को इस बार जेल से बाहर लाने की कोशिशों में जुटी है। दरअसल, खेती को लेकर 42 दिनों की पैरोल मांगी, इससे पहले कि इस मामले में कुछ फैसला होता सरकार ही इस मुहिम में शामिल हो गई और सरकारी तंत्र का पूरा प्रयास है कि किसी भी तरह उन्हें पैरोल मिल जाए। सुनारिया जेल प्रशासन ने दो साल की अवधि पूरी होने से पहले ही पैरोल के आवेदन को स्वीकार कर लिया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बाबा का दबदबा आज भी कायम है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, जेल मंत्री कृष्ण पवार और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज भी खुद गुरमीत राम रहीम को पैरोल देने की पैरवी खुलेआम करने लगे हैं।
पैरोल के लिए दो साल की सजा जरूरी
हालांकि, किसी कैदी के लिए पैरोल पाने के लिए जो नियम हैं, उनके तहत दो साल की सजा पूरी करनी होती है, लेकिन राम रहीम को अभी दो साल नहीं हुए हैं। उसके पहले पैरोल के लिए अर्जी दाखिल कर दी गई है। इससे पहले गुरमीत राम रहीम की गोद ली गई बेटी गुरांश की शादी 10 मई को तय हुई थी। उसमें शामिल होने के लिए राम रहीम ने एक माह की पैरोल मांगी थी। सीबीआई और हरियाणा सरकार दोनों ने इस पैरोल का विरोध किया था। हाईकोर्ट इस याचिका को खारिज करने जा ही रहा था कि राम रहीम ने एक मई को याचिका वापस ले ली। लेकिन अब मामला फिर गरमा गया है।
राम रहीम के प्रति नरमी क्यों
माना जा रहा है कि हरियाणा में आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार राम रहीम के प्रति खास नरमी दिखा रही है। हरियाणा की दो दर्जन से अधिक सीटों पर डेरा प्रमुख राम रहीम के अनुयायियों की तादाद करीब पांच से दस हजार है। लोकसभा चुनाव में सरकार के लिए यह वोट उतने मायने नहीं रखते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में यह वोट नतीजे प्रभावित कर सकते हैं। लिहाजा सत्तर प्लस का लक्ष्य भेदने के लिए भाजपा चाहेगी कि राम रहीम को बाहर लाया जाए। भले ही वह खेती बाड़ी के बहाने ही क्यों न हो।
खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है
अब सरकार ने पैरोल को लेकर खुफिया एजेंसियों से रिपोर्ट मांगी गई है। खुफिया एजेंसियों को कहा गया है कि वे राम रहीम के बाहर आने की स्थिति में पैदा होने वाले हालातों को लेकर रिपोर्ट भेजें ताकि कोई भी फैसला लेने से पहले स्थिति साफ की जा सके। पैरोल का मुख्य आधार खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट ही होगी। रिपोर्ट के अनुसार ही सिरसा जिला प्रशासन अंतिम फैसला लेगा और उसी तरह से अनुशंसा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो खुफिया एजेंसियों की ओर से इनपुट जुटाए जा रहे हैं और वही रिपोर्ट पैरोल देने और नहीं देने का आधार बनेगी।
राम रहीम ने कृषि कार्य करने के लिए मांगी पैरोल
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम ने रोहतक के जेल अधीक्षक को पत्र लिखकर डेरे में कृषि कार्य करने के लिए पैरोल की मांग की है। रोहतक के जेल अधीक्षक ने गृह विभाग और सिरसा के उपायुक्त को पत्र लिखकर पैरोल पर राय मांगी गई है। जेल अधीक्षक की ओर से यह पूछा गया है कि क्या कैदी गुरमीत सिंह को पैरोल देना उचित होगा या नहीं। पत्र के अनुसार इस बारे में जिला प्रशासन अपनी सिफारिश आयुक्त रोहतक को भेजेगा। सिरसा के अफसरों का कहना है कि पैरोल के नियमानुसार जो भी प्रक्रिया होगी, उसके तहत रिपोर्ट बनाकर भेजी जाएगी।