पंजाब: एसिड अटैक पीड़िता अपने 30वें साल में बनी मिसाल, हासिल की सरकारी बैंक में नौकरी
7 साल पहले एसिड अटैक से तबाह गई थीं सारी खुशी, आंखों की रोशनी भी चली गई थी, बनी अब सरकारी बैंकर
punjab news, चंडीगढ़। करीब सात साल पहले जीने की आस छोड़ चुकी मोहाली की इंदरजीत कौर पर जब एसिड से अटैक हुआ तो किसी ने सोचा न था कि वो कुछ ऐसा कर गुजरेगी कि मिसाल बन जाएगी। उसके माता-पिता भी उसकी हालत देख आस छोड़ चुके थे। मगर, आंखों की रोशनी गंवा देने और चेहरा हमेशा के लिए जल जाने के बावजूद उसने अपने 30वें साल में अपना एक सपना पूरा कर दिखाया। न सिर्फ उसे उसका सपना पूरा होना कहेंगे, बल्कि महिला शक्ति की एक मिसाल भी बन गई।
सरकारी
बैंक
में
दिल्ली
में
मिली
नौकरी
जानकारी
के
मुताबिक,
मोहाली
के
मरौली
कलां
गांव
की
रहने
वाली
इंदरजीत
कौर
पर
2011
में
एसिड
से
हमला
हुआ
था।
लेकिन
लंबे
संघर्ष
के
बाद
अब
उसे
सरकारी
बैंक
में
नौकरी
मिलने
जा
रही
है।
उसे
केनरा
बैंक
के
दिल्ली
स्थित
ऑफिस
में
क्लर्क
पद
पर
नियुक्ती
मिली
है।
जिससे
उसके
परिजनों
की
खुशी
का
ठिकाना
नहीं
रहा
है।
इंदरजीत
कौर
की
मां
भी
अपनी
बेटी
के
हौसले
की
कायल
है।
एकतरफा
प्यार
करने
वाले
युवक
ने
फेंका
तेजाब
बता
दें
कि
दिसंबर
2011
तक
उसकी
जिंदगी
भी
सबकी
तरह
हंसी-खुशी
से
बीत
रही
थी।
आम
लड़कियों
की
तरह
वह
भी
कालेज
में
रोजाना
पढऩे
जाती
थी
और
आगे
बढऩे
के
उसने
सपने
संजाये
थे।
मगर
उसे
नहीं
पता
था
कि
कोई
युवक
उसकी
जिंदगी
तबाह
कर
देगा।
मरौली
कलां
से
सटे
दूसरे
गांव
के
मनजीत
सिंह
का
उस
पर
दिल
आ
गया
और
वह
एकतरफा
प्यार
करने
लगा।
हालांकि इस बात की जानकारी इंदरजीत कौर को नहीं थी। एक दिन उसके प्रेमी मनजीत ने उसे शादी करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन इंदरजीत ने उसे ठुकरा दिया। वह पढ़-लिखकर आगे बढऩा चाहती थी। बात तो आई-गई हो गई, लेकिन इस बात से खफा होकर मनजीत एक दिन मनजीत उनके घर में घुस आया और उसे एसिड से नहला दिया। इस हमले में इंदरजीत कौर की आंखों की रोशनी तो गई ही, चेहरे, गर्दन, हाथों और शरीर के अन्य हिस्से पर भी गंभीर जख्म आए। अचानक हुए इस हादसे ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया। लेकिन इंदरजीत ने हिम्मत नहीं हारी। हालांकि, उसके करीबी रिश्तेदार भी उससे किनारा करने लगे।
भाई
ने
भी
कर
लिया
था
किनारा
इंदरजीत
बताती
हैं,
मैंने
अपनी
जिंदगी
में
बहुत
बुरा
समय
देखा।
मां
के
अलावा
किसी
रिश्तेदार
ने
मेरा
साथ
नहीं
दिया।
यहां
तक
कि
मेरे
भाई
ने
भी
किनारा
कर
लिया।
पढ़ाई
छूट
गई
और
मैं
खुद
को
पूरी
तरह
अलग-थलग
महसूस
करने
लगी।
मैं
हर
वक्त
बस
रोती
रहती
थी।
गांव-वाले
और
रिश्तेदार
कहते
थे
कि
मैं
अपने
परिवार
और
समाज
पर
बोझ
बन
कर
जिऊंगी।
उनके
तानों
से
तंग
आकर
कुछ
करने
की
सोची
और
देहरादून
स्थित
नेशनल
इंस्टिट्यूट
फॉर
विजुअली
हैंडीकैप्ड
में
प्रवेश
ले
लिया।
वहां
ऑडियो
रिकॉर्डिंग
तकनीक
से
पढ़ाई
करना
सीखा
और
2016
में
ग्रेजुएशन
पूरी
की।
इसके
बाद
बैंकिंग
परीक्षाओं
की
तैयारियों
में
जुट
गई।
तीसरे
प्रयास
में
जून
2018
में
केनरा
बैंक
में
मेरा
सिलेक्शन
हो
गया।
आमदनी
का
एकमात्र
जरिया
भी
छीन
लिया
खुद
पर
हुए
एसिड
अटैक
से
पहले
इंदरजीत
बच्चों
को
ट्यूशन
पढ़ाती
थीं,
पर
इस
हादसे
ने
उनकी
आमदनी
का
एकमात्र
जरिया
भी
छीन
लिया।
गरीब
परिवार
की
होने
की
वजह
से
वह
प्लास्टिक
सर्जरी
जैसे
महंगे
इलाज
करवाने
में
असमर्थ
थीं।
ऐसे
में
उन्होंने
पंजाब
और
हरियाणा
हाईकोर्ट
से
अपने
इलाज
और
पुनर्वास
के
लिए
आर्थिक
मदद
दिलवाने
की
गुहार
लगाई।
याचिका
पर
सुनवाई
करते
हुए
कोर्ट
ने
पंजाब
सरकार
को
आदेश
दिया
कि
वह
उनका
मुफ्त
तो
इलाज
करवाए
ही,
आर्थिक
सहायता
भी
उपलब्ध
कराए।
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