युवक ने नास्तिक होने का सर्टिफिकेट मांगा, बोला- 'मैं भगवान को नहीं मानता', जानिए हाईकोर्ट ने क्या कहा?
चंडीगढ़।
हरियाणा
में
एक
युवक
ने
हाईकोर्ट
में
याचिका
दायर
करके
खुद
के
नास्तिक
होने
का
प्रमाणपत्र
दिलाए
जाने
की
मांग
की।
उसने
कहा
कि
मुझे
राज्य
सरकार
से
'नो
कास्ट',
'नो
रिलीजन'
और
'नो
गॉड'
सर्टिफिकेट
दिलाया
जाए।
हाईकोर्ट
ने
इस
पर
सुनवाई
की।
याचिका
देख
जज
बोले,
''यदि
तुम
नास्तिक
हो
तो
सरकार
से
प्रमाण
पत्र
लेने
की
क्या
जरूरत
है?
भगवान,
जाति-धर्म
को
मानना
या
न
मानना
किसी
भी
व्यक्ति
का
निजी
मामला
है।'
वहीं,
इसी
मामले
का
दूसरा
दिलचस्प
पहलू
यह
भी
सामने
आया
कि
युवक
की
बात
तहसीलदार
ने
मान
ली
और
युवक
को
अपनी
तरफ
से
सर्टिफिकेट
भी
जारी
कर
दिया।
बाद
में
सरकार
ने
उसे
खारिज
किया।
जिसके
बाद
वह
युवक
सरकार
के
कदम
के
खिलाफ
हाईकोर्ट
पहुंच
गया।
हाईकोर्ट
ने
भी
उसकी
याचिका
खारिज
कर
दी
है।
युवक ने कहा, मुझे 'नास्तिक का सर्टिफिकेट' मुहैया कराया जाए
संवाददाता के अनुसार, फतेहाबाद जिले में टोहाना तहसील के रहने वाले रवि कुमार ने खुद को नास्तिक मानते हुए प्रशासनिक अधिकारियों से कहा था कि वह जातिहीन समाज में विश्वास रखता है। यानी, जाति-धर्म या भगवान में यकीन नहीं रखता। उसने यह भी बताया कि वह अनुसूचित जाति से है, लेकिन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति को मिलने वाले लाभ व आरक्षण का फायदा भी नहीं लेना चाहता। ऐसे में 'नास्तिक का सर्टिफिकेट' मुहैया कराया जाए।''
तहसीलदार ने 24 अप्रैल को प्रमाण पत्र जारी किया
रवि कुमार की बातें सुनने पर तहसीलदार ने 24 अप्रैल 2019 को उसको प्रमाण पत्र जारी किया था। बाद में 4 मई 2019 को सरकार ने यह प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था। जिसके बाद रवि ने हाईकोर्ट से आग्रह किया।
'नागरिकों को जाति, धर्म की स्वतंत्रता'
रवि ने कहा कि हाईकोर्ट हमारी सरकार को आदेश दे कि मुझे नो कास्ट, नो रिलीजन, नो गॉड सर्टिफिकेट जारी करे। मगर, हाईकोर्ट की बेंच ने साफ कह दिया कि राज्य अपने नागरिकों को जाति, धर्म की स्वतंत्रता देता है। अलग से सर्टिफिकेट नहीं होगा।
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