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तो अब कन्या भ्रण हत्या से तौबा करता हरियाणा

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नई दिल्ली(ब्यूरो)। हरिय़ाणा बदनाम रहा है कन्या भ्रण हत्या के मामले में, पर अब लगता है कि कुछ सुधार हो रहा है। अगर महेंद्रगढ़ व पलवल जिले को छोड़ दे तो बाकी सभी जिलों में बेटियों के प्रति लोगों की सोच बदली है। अगर वर्ष 2010 के 5 फिसड्डी जिलों को देखें तो रेवाड़ी में थोड़ा सुधार हुआ है। रेवाड़ी में 2010 में सबसे कम 756 कन्याएं थीं, जोकि अब बढ़कर 797 हो गई हैं।

Fetus

बढ़ती बेटियां

अब बेटियों की संख्या बढ़ रही है। सितंबर-2010 से लेकर सितंबर 2014 तक के 4 वर्षों के दौरान प्रदेश में 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या बढ़कर 872 हो गई है। इन 4 वर्षों में प्रति एक हजार पर 35 कन्याएं बढ़ी हैं।

कृष्ण का कुरुक्षेत्र

और अगर बात कुरुक्षेत्र की करें जहां कृष्ण ने गीता का संदेश दिया था तो इधर भी बेटियों का सम्मान बढ़ा है। 2010 में 1000 लड़कों के पीछे यहां लड़कियों की संख्या 783 थी, जो अब बढ़कर 874 हो गई है। यानी इन चार वर्षों में प्रति हजार पर 91 बेटियां बढ़ी हैं।

मेवात आगे बढ़ा

मुस्लिम बहुल मेवात जिला इन चारों ही वर्षों में नंबर वन पर रहा है। 2010 में मेवात में 1000 लड़कों पर कन्याओं की संख्या 902 थी जो अब बढ़कर 920 हो गई है।

कुछ साल पहले नंबर-2 पर रहा पलवल अब नंबर-5 पर है। वहीं लिंगानुपात में सुधार के साथ पंचकूला नंबर-2 पर आ गया है। इसी तरह से नंबर 3 पर रहा फरीदाबाद भी टॉप-5 से बाहर हो गया है। 4 साल पहले पांचवें नंबर पर रहा सिरसा अब सुधार के बाद नंबर-3 पर आ पहुंचा है।सुधार के साथ ही कैथल टॉप-5 जिलों में शामिल हो गया है। बहरहाल, कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हरिय़ाणा का समाज लड़कियों को लेकर सुधर रहा है।

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English summary
Female feticide is on the decline in Haryana. However, some districts are still not doing well in this regards.
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