PMO को गुमराह करने का शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर लगा आरोप, पूर्व मेयर छाबड़ा ने दी ये दलील
चंडीगढ़, 13 जून 2022। चंडीगढ़ में इन दिनों आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच सियासी जंग छिड़ गई है। इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी के सह प्रभारी और चंडीगढ़ के पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने भाजपा के नगर निगम प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। चंडीगढ़ के प्राईमरी स्कूलों को जान बूझ कर बंद करने के लिए कार्य योजना तैयार करने का आरोप लगाते हुए, उन्होंने कहा कि इससे आरटीई एक्ट के तहत छोटे बच्चों को शिक्षा लेने में दिक्कत पेश आयेगी।

पीएमओ और प्रशासक को गुमराह करने का आरोप
पूर्व मेयर प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि पीएमओ की ओर से जारी दिशा निर्देशों का अधिकारी नाजायज फायदा उठा रहे है। हल्लोमाजरा के टीन शेड में चल रहे स्कूल के भवन निर्माण के लिए पीएमओ ने शीघ्र कार्य शुरू करने के लिए अधिकारियों को दिशा निर्देश दिया था। पीएमओ दिशा निर्देश के मुताबिक चंडीगढ़ के प्रशासक और उनके सलाहकार ने हल्लोमाजरा का दौरा किया । दौरे के बाद वहां के बच्चों को शिफट कर स्कूल का निर्माण शीघ्र करने के लिए आदेश भी जारी कर दिया।

प्रदीप छाबड़ा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर लगाये आरोप
छाबड़ा ने कहा कि पीएमओ के आदेशों की कथित आड़ में शिक्षा विभाग के अधिकारी समस्या को हल करने की बजाए उसे जड़ से खत्म कर प्राईमरी स्कूलों को बंद करने की ओर कार्रवाई कर रहे है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन्हें बताया कि मौली जागरां के प्राईमरी स्कूल रेलवे कॉलोनी जोकि वर्षो से रेलवे की जमीन में चल रहा है, और मौली कॉम्प्लेक्स का प्राईमरी स्कूल जोकि कालोनी के बसाए जाने से ही हाऊसिंग बोर्ड के भवन में चल रहा है। अब उसे बंद कर प्राइमरी स्कूलों को करीब ड़ेढ से दो किल्लोमीटर दूर मौली जागरां गांव के पास बन रही नई बिल्डिंग में समायोजित करने की तैयारी की जा रही है।

'स्कूलों को बंद करने में सम्मलित अधिकारियों पर हो कार्रवाई'
स्कूलों को बंद करने में सम्मलित अधिकारियों पर हो कार्रवाई
प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि अधिकारियो को चाहिए था कि इन दोनों स्कूलों के भवन बनाने के लिए जगह तलाशते और भवन बना कर उन्हें वहां शिफट कर देते । लेकिन अधिकारी प्रशासक और पीएमओ कार्यालय को गुमराह कर स्कूलों को बंद कर समस्या को जड़ से ही खत्म कर बच्चों की शिक्षा पर कुठाराघात कर रहे हैं। प्राईमरी स्कूलों को बंद करने की बजाए अधिकारी और प्रशासन उनमें बेहतर सुविधाए उपलब्ध करवाए और स्कूल भवन बनाएं। उन्होंने जो अधिकारी स्कूलों को बंद करने में सम्मलित है उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। क्योकि छोटे बच्चे डेढ़ से दो किलोमीटर दूर नए स्कूल में भीड़ भाड़ से होकर नहीं जा सकते। इससे कभी भी हादसा हो सकता है।
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