दो भारतीयों को सऊदी में मिली सिर कलम की सजा, हत्या-लूटपाट का था आरोप
Chandigarh News, चंडीगढ़। सऊदी अरब में रोजी रोटी कमाने गए पंजाब के दो युवकों पर हत्या और लूटपाट के आरोप में सिर कलम कर दिए गए हैं। दोनों युवकों को बीते 28 फरवरी को सिर कलम की सजा दी जा चुकी है। लेकिन परिजनों को उनके शव अभी तक नहीं मिले है। दोनों युवक की पहचना सतविंदर कुमार होशियारपुर और हरजीत सिंह लुधियाना के रुप में हुई है। दोनों युवकों के सऊदी अरब में हत्या के जुर्म में सिर कलम किये जाने की पुष्टि कर दी है। जिससे परिजनों के घरों में मातम पसरा है।
हाईकोर्ट से लगाई थी गुहार
दरअसल, बीते दिनों पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हुशियारपुर के दसूहा के युवक सतविंदर की पत्नी सीमा रानी ने याचिका दायर कर युवकों का पता लगाने की गुहार लगाई थी। इस पर पंजाब एंव हरियाणा हाईकोर्ट में जस्टिस तेजिन्दर सिंह डीढ़ंसा ने मामले की सुनवाई करते हुये केन्द्र सरकार को इस मामले में दखल देकर सात दिन के अंदर पीड़ितों को जानकारी देने का आदेश दिया था। लिहाजा अदालत के आदेशों के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से कराई गई जांच में सनसनीखेल खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि रियाद में भारतीय दूतावास को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। दोनों सिर कलम किये जाने से पहले भारतीय दूतावास को सूचना नहीं दी गई। दोनों मृतकों के परिवार को शायद उनके शव नहीं दिए जाए, क्योंकि यह सऊदी के नियमों के खिलाफ है।
दोनों पर हत्या का आरोप
बताया जा रहा है कि हरजीत और सतविंदर ने इमामुद्दीन नाम के भारतीय की हत्या पैसों के विवाद में कर दी थी। तीनों ने यह पैसा लूट के जरिए जमा किया था। कुछ दिनों बाद दोनों को लड़ाई-झगड़ा करने और शराब पीने के अपराध में अरेस्ट किया गया। दोनों को वापस देश भेजने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के दौरान ही मर्डर में इनके शामिल होने के कुछ सबूत मिले। इसके बाद दोनों को रियाद जेल में ट्रायल के लिए भेज दिया गया।
दूतावास को नहीं दी गई कोई जानकारी
विदेश मंत्रालय के अनुसार, 'दोनों को ट्रायल के लिए रियाद की जेल में भेजा गया जहां दोनों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया। 31 मई, 2017 को जब उनके मामले की सुनवाई हुई तब वहां दूतावास का एक अधिकारी मौजूद था। हालांकि, केस की सुनवाई के ही दौरान दोनों पर हिराबा (हाईवे पर लूटपाट) का केस भी शुरू हो गया। इस अपराध में भी फांसी की सजा तय है।' प्रकाश चंद, डायरेक्टर (काउंसलर) के हस्ताक्षर वाले पत्र में यह जानकारी दी गई कि दोनों से केस ट्रायल के दौरान कुछ भारतीय अधिकारियों ने मुलाकात की थी। हालांकि, 28 फरवरी को इस साल उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया, लेकिन इसकी सूचना दूतावास को नहीं दी गई। मंत्रालय की तरफ से मृतकों के अवशेष लौटाने के लिए कई पत्र लिखे गए, लेकिन यह सऊदीकानूनों के दायरे में नहीं होने के कारण संभव नहीं हो सका।
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