बठिंडा सीट से एक बार फिर हरसिमरत कौर मैदान में, दांव पर लगी बादल परिवार की प्रतिष्ठा
बठिंडा। पंजाब की राजनीति में इन दिनों शिरोमणि अकाली दल यानी अकाली दल बादल के सितारे गर्दिश में हैं। प्रकाश सिंह ने बादल ने अब शिरोमणि अकाली दल को सुखबीर के हवाले कर दिया है। लेकिन जूनियर बादल के साथ उनके पुराने साथी चलने को तैयार नहीं है। जिससे पंजाब की राजनीति में अरसे तक काबिज रहा यह दल कई टुकड़ों में बंट गया है। लिहाजा इस बार चुनावों में बठिंडा सीट पर शिरोमणि अकाली दल की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। बादल परिवार की बहू केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल हरसिमरत कौर बादल बठिंडा से सांसद हैं, व दोबारा फिर उन्हें यहां से चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी है।
हरसिमरत कौर परिवार का एकमात्र सहारा
पंजाब की सियासत से बाहर होने के बाद बादल परिवार के साथ कल तक खड़े रहने वाले आज उनके साथ नजर नहीं आ रहे। जिससे अब हरसिमरत कौर बादल ही बादल परिवार का एकमात्र सहारा है। जिनकी जीत के सहारे बादल परिवार एक बार फिर राजनीति में अपने आपको आगे ला सकता है। यूं तो हरसिमरत पिछले चुनावों से पहले तक अपने पति सुखबीर सिंह बादल के लिये फरीदकोट चुनाव क्षेत्र में प्रचार का जिम्मा संभालती थीं। अब वह नन्हीं छांव से होते हुए राष्ट्रीय राजनीति में एक जाना पहचाना चेहरा है। यहां मतदान 19 मई को होने जा रहा है और यहां से हरसिमरत ही अकाली दल की प्रत्याशी हैं।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के बेटे रणइंदर को हराया
यह चुनाव क्षेत्र लंबे समय तक आरक्षित रहा। जिसके चलते बादल परिवार फरीदकोट से चुनाव लड़ता रहा है। लेकिन 2009 में हालात बदले व बठिंडा को डीलिमिटेशन के बाद अनारक्षित घोषित किया गया और फरीदकोट सीट रिजर्व हो गई। उस समय यहां से हरसिमरत कौर बादल चुनाव में उतरीं तो कांग्रेस ने उनके मुकाबले कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के बेटे रणइंदर सिंह को उतारा। जिससे यह हल्का सुर्खियों में आया। चुनावों में बीबी बादल ने रणइंदर को 120948 मतों से हराया।
कांग्रेस ने घोषित नहीं किया प्रत्याशी
2014 के चुनावों में कांग्रेस ने उनके मुकाबले उनके रिशतेदार मनप्रीत बादल को टिकट दी। जिससे बठिंडा चुनाव क्षेत्र दुनिया भर में फैले पंजाबियों के बीच दिलचस्पी का केन्द्र बन गया। इस बार फिर हरसिमरत कौर बादल मैदान में हैं। लेकिन कांग्रेस ने इस सीट पर अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इस बीच आम आदमी पार्टी के बागी पंजाब एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैहरा के चुनाव मैदान में उतरने से बादल परिवार में चिंता का महौल है।
हरसिमरत कौर की आसान नहीं होंगी राह
बताया जा रहा है कि खैहरा के चुनाव मैदान में आने से बादल परिवार को लगता है कि हरसिमरत के लिए चुनाव उतना आसान नहीं होगा। चूंकि कांग्रेस एक बार फिर मनप्रीत बादल को टिकट दे सकती है। वहीं, अकाली दल टकसाली भी इस सीट पर अपने उम्मीदवार को मैदान में उतार सकती है। जिसकी वजह से मुकाबला बहुकोणीय हो सकता है। इस सूरत में हरसिमरत कौर बादल की राह आसान नहीं होगी। उधर, अपने भविष्य को लेकर हरसिमरत कौर बादल ने स्पष्ट किया कि वह बठिंडा को छोड़कर नहीं जाएंगी।
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