Yes Bank: RBI के आदेश के बाद भी सुरक्षित है आपका पैसा, सरकार के इस नियम से हुआ ग्राहकों को फायदा
मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने यस बैंक पर सख्ती बरतते हुए जो फैसला किया है, उसके बाद बैंक के ग्राहकों में डर और चिंता का माहौल है। उन्हें अब चिंता सता रही है कि उनका पैसा डूब सकता है। मगर ग्राहकों को बिल्कुल भी परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि बैंक में रखा उनका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है। सरकार की तरफ से एक ऐसा नियम साल 2020-2021 वित्तीय वर्ष के लिए लाया गया है जिसके बाद ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रहेगा। आपको बता दें कि गुरुवार को बड़े ऐलान के तहत आरबीआई ने कहा है कि ग्राहक यस बैंक में अपने अकाउंट से बस 50 हजार रुपए ही निकाल सकते हैं।
यह भी पढ़ें-RBI की पाबंदी के बाद चिंता में Yes Bank के ग्राहक
क्या है सरकार का नया नियम
पिछले वर्ष सामने आए पंजाब एंड महाराष्ट्रको-ऑपरेटिव बैंक (पीएमसी ) घोटाले के बाद से ही इस बात को लेकर देशभर में बहस छिड़ी थी कि बैंकों में जो पैसा है, उसकी गारंटी कैसे तय होगी। इस बहस के बीच ही इस वर्ष जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया तो उन्होंने बैंक के ग्राहकों के सुकून को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने सदन में जानकारी दी थी कि बैंक अकाउंट्स में जो पैसे जमा है उस पर सरकाद ने इंश्योरेंस गारंटी की सीमा बढ़ा दी है। इस गारंटी के बढ़ने के बाद ग्राहकों को जो रकम बतौर इंश्योरेंस गारंटी मिलेगी वह अब पांच लाख रुपए है। बजट में वित्त मंत्री की तरफ से घोषणा के बाद ही वित्तीय सेवा विभाग की तरफ से इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।
Recommended Video
27 साल बाद सरकार ने बदला है नियम
जिस नियम के तहत गांरटी को पांच लाख रुपए किया गया है, उसमें 27 साल के बाद बदलाव हुआ है। साल 1993 में इस नियम में सरकार ने आखिरी बार बदलाव किया था। उस समय इंश्योरेंस रकम की गारंटी को एक लाख रुपए किया गया था। नए नियम के बाद अब अगर पीएमसी या यस बैंक की तरह कोई बैंक डूबता है तो ग्राहकों को पांच लाख रुपए वापस किए जाएंगे। बजट के बाद वित्त सचिव राजीव कुमार की तरफ से ट्टीट कर इसकी जानकारी दी गई थी। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया था कि बैंक डिपॉजिट्स पर 27 साल बाद बीमा कवर बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने के लिए वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने मंजूरी दे दी है। वित्त सचिव की तरफ से इस बात की सूचना भी दी गई थी कि वर्तमान में हर 100 रुपए पर 10 पैसे की जगह अब 12 पैसे प्रीमियम बैंक देंगे।
कैसे तय होती है इंश्योरेंस गारंटी
आरबीआई के जमा पर बीमा डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) की ओर से किया जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को लेकर अपने बजट में कहा था कि डीआईसीजीसी को 'प्रति अकाउंट' डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा एक लाख रुपए से बढ़ाकर पांच लाख रुपए किए जाने की अनुमति है। 31 मार्च 2019 तक डीआईसीजीसी के पास डिपॉजिट इंश्योरेंस के तौर पर 97,350 करोड़ रुपये था, जिसमें 87,890 करोड़ रुपए सरप्लस भी शामिल है। डीआईसीजीसी ने 1962 से लेकर अब तक कुल क्लेम सेटलमेंट पर 5,120 करोड़ रुपए खर्च किया है जो कि सहकारी बैंकों के लिए था। डीआईसीजीसी के अंतर्गत कुल 2,098 बैंक आते हैं, जिनमें से 1,941 सहकारी बैंक हैं।
बैंक का डूबना मुश्किल
ग्राहकों को घबराने की जरूरत इसलिए भी नहीं है कि सरकार किसी बैंक को डूबने नहीं देती है। पहले के उदाहरण देखें तो सरकार ने सहकारी और सरकारी बैंकों को तो डूबने से बचाया है। साथ ही प्राइवेट सेक्टर बैंक को भी बचाने की कोशिश की है। इसके पहले प्राइवेट सेक्टर का ग्लोबल ट्रस्ट बैंक (जीटीबी) जब डूबने वाला था तो सरकार ने उसे भी बचाया था। साल 2001 में हुए केतन पारेख शेयर घोटाले के सामने आने पर रिजर्व बैंक ने जब जीटीबी के खाते की जांच की तो उसका नेटवर्थ नेगेटिव पाया गया। लेकिन सरकार ने जमाधारकों का कोई नुकसान नहीं होने दिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने इस बैंक का अधिग्रहण कर लिया।
एक माह के लिए मान्य नियम
आरबीआई की तरफ से ऐलान के बाद से यस बैंक के एटीएम के बाहर लंबी कतारें लगी हुई हैं। आरबीआई का ऑर्डर अगले एक माह के लिए मान्य होगा। इसके अलावा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के सीएफओ प्रशांत कुमार अब यस बैं के नए एडमिनिस्ट्रेटर हैं। बैंक की खराब आर्थिक हालत को देखने के बाद यह कदम उठाया गया है। यस बैंक काफी समय से फंड जुटाने के लिए संघर्ष कर रहा है। गुरुवार को यह खबर भी आई थी कि सरकार ने सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई से यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा है।