महिलाओं की लिपस्टिक खोल देती है देश के कई राज, स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बातें
महिलाओं की लिपस्टिक खोल देती है देश के कई राज, स्टडी में सामने आई हैरान करने वाली बातें
नई दिल्ली। लिपस्टिक को हमेशा से लोग महिलाओं के ब्यूटी प्रोडक्ट्स के तौर पर देखते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला लिपस्टिक देश की अर्थव्यवस्था का हाल बयां करती हैं। आप सोच रहे होंगे कि लिपस्टिक का देश की अर्थव्यवस्था और आर्थिक स्थिति से क्या रिश्ता है। हम आपको आज इसी बारे में बताने जा रहे हैं। महिलाओं की लिपस्टिक किसी भी देश की आर्थिक स्थिति के बारे में जानकारी देती है। लिपस्टिक एक इंडेक्स है जिससे देश की आर्थिक मंदी का पता लगाया जाता है।
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लिपस्टिक बताती है देश की आर्थिक स्थिति
लिपस्टिक एक सूचकांक है, जिसकी मदद से देश की आर्थिक मंदी का पता लगाया जाता है। कई रिसर्च में ये मात सामने आ चुकी है कि आर्थिक हालात बेहतर होने पर जहां महिलाएं कपड़े खरीदती है तो वहीं मंदी के दौरान लिपस्टिक ज्यादा खरीदती हैं। मतलब ये कि लिपस्टिक की बिक्री के ज रिए देश की मंदी का अनुमान लगाया जा सकता है। रिसर्च के मुताबिक मंदी के दौरान मुश्किल हालात में महिलाएं ज्यादा आकर्षक दिखने के लिए लिपस्टिक खरीदने में ज्यादा पैसे खर्च करती है। आर्थिक मंदी के दौरान जहां बाकी प्रोडक्ट की सेल घटती है तो वहीं लिपस्टिक की सेल बढ़ने लगती है।
कब बनाया गया था लिपस्टिक इंडेक्स
सबसे पहले 1990 में लिपस्टिक इंडेक्स बनाया गया था। एसटी लाउडर के चेयरमैन लियोनार्ड लाउडर ने एक इंडेक्स को तैयार किया था। वहीं भूटान ने 1972 में देश की तरक्की को नापने के लिए ग्रॉस नेशनल हेप्पीनेस-जीएनएच को मान्यता दी थी। जिसमें प्राकृतिक वातावरण के साथ-साथ देश के लोगों के आध्यात्मिक, भौतिक, सामाजिक और स्वास्थ्य को शामिल किया गया था।
क्या है हैमबर्गर इंडेक्स
साल 1986 में द इकोनॉमिस्ट मैगजीन ने दुनिया के विभिन्न देशों में खर्च की क्षमता को नापने के लिए बिग मैक सूचकांक तैयार किया था , जिसमें अलग-अगल देशों में मैकडोनल्ड के बिग मैक हैमबर्गर की कीमत के आधार पर इंडेक्स तैयार किया गया। चूकिं ये बर्गर दुनियाभर के देशों में उपलब्ध था इसलिए इस बर्गर की एक मानक कीमत आधार मानकर ये सूचकांक तैयार किया गया।