देश के कई राज्यों में पवन ऊर्जा उत्पादन में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट, उद्योग जगत हैरान
नई दिल्ली। आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई में भारत की पवन ऊर्जा उत्पादन क्षमता में 43% की कमी आई है जिसने उद्योग जगत को हैरान कर दिया है। आश्चर्यजनक बात यह है कि मानसून का महीना पवन ऊर्जा उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल सीजन होता है लेकिन इस दौरान 43 फीसदी की गिरावट ने हर किसी को हैरान कर दिया है। बता दें कि पिछले साल जुलाई की तुलना में यह 24 प्रतिशत कम है। राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु सहित अधिकांश राज्यों में पवन उत्पादन में 50 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। कुछ जानकारों का मानना है कि ऐसा हवा की कम रफ्तार की वजह से हुआ है।
एक आंकड़े के मुताबिक इस वर्ष जुलाई के महीने में अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 12,242 मिलियन यूनिट रहा है जो पिछले वर्ष 2019 में 16,177 MU था। इस एक वर्ष के अंतराल में हवा की रफ्तार में सबसे बड़ी गिरावट देखी गई जो साल 2019 में 11,343 MU से इस वर्ष 2020 में 6,490 MU थी। अप्रैल से जुलाई के बीच देखा जाए तो अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता में साल दर साल गिरावट आई है। पिछले साल के मुकाबले (52,421 MU ) इस वर्ष इसी समय अंतराल में ऊर्जा उत्पादन क्षमता 6,490 MU रही थी।
पवन ऊर्जा उद्योग के एक अनुमान के अनुसार जून और सितंबर के बीच मानसून के महीने पवन उर्जा उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल महीने होते हैं लेकिन जुलाई में 40 फीसदी की गिरावट से आने वाले दिनों में संकेत अच्छे नहीं मिले हैं। मानसून के महीनों में वार्षिक उत्पादन का लगभग 85% अक्षय ऊर्जा का उत्पादन कर लिया जाता है। लगभर 120 दिनों का यह समय सौर ऊर्जा की तुलना में बहुत अच्छा रिजल्ट देता है। आम तौर पर एक वर्ष में कम से कम 280 दिनों के लिए उत्पादक रहती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल आंध्र प्रदेश की हवा और सौर उर्जा में दूसरे वर्ष गिरावट दर्ज की गई है। राज्य में पवन उत्पादन इस वर्ष जुलाई में 718 मिलियन यूनिट और सौर ऊर्जा 351 मिलियन यूनिट था, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 1474 एमयू पवन ऊर्जा और 451 एमयू सौर ऊर्जा थी।
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