खुदरा के बाद अब बढ़ी थोक महंगाई दर, सितंबर में 5.13 फीसदी पर पहुंची
नई दिल्ली। मासिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित थोक मुद्रास्फीति दर बढ़कर सितंबर, 2018 के लिए 5.13 प्रतिशत तक पहुंच गई है। जबकि पिछले महीने मुद्रास्फीति की यह दर 4.53 प्रतिशत था। वही पिछले साल इसी महीने में मुद्रास्फीति की दर 3.14 प्रतिशत रही थी। बता दें कि शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में औद्योगिक उत्पादन गिरकर तीन महीने के निचले स्तर 4.3 प्रतिशत पर आ गया था। थोक मुद्रास्फीति में वृ्द्धि के पीछे सबसे बड़ी वजह ईंधन की कीमतों में बढोतरी हो सकती है।
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, खाद्य वस्तुओं में अगस्त में 4.04 फीसदी के मुकाबले 0.21 फीसदी सितंबर में गिरावट के साथ कीमतों में सख्त वृद्धि देखी गई। सितंबर में सब्जियों के दाम में गिरावट 3.83 प्रतिशत थी, जो पिछले महीने की तुलना में 20.18 प्रतिशत थी। सितंबर में 'ईंधन और बिजली' में मुद्रास्फीति की दर 16.65 प्रतिशत थी। व्यक्तिगत रूप से, पेट्रोल और डीजल में यह क्रमश: 17.21 प्रतिशत और 22.18 प्रतिशत था, और एलपीजी के लिए यह 33.51 प्रतिशत था। वहीं खाद्य वस्तुओं में, आलू की मुद्रास्फीति सितंबर में 80.13 प्रतिशत तक बढ़ी, जबकि प्याज और फलों में क्रमश: 25.23 प्रतिशत और 7.35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। दालों में गिरावट 18.14 प्रतिशत थी।
पिछले हफ्ते जारी किए गए आंकड़ों से पता चला है कि सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.77 फीसदी हो गई जो पिछले महीने 3.69 फीसदी थी। भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति तैयार करते समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति डेटा को ध्यान में रखता है। पिछले हफ्ते वित्त वर्ष के लिए अपनी चौथी मौद्रिक नीति समीक्षा में, रिज़र्व बैंक ने बेंचमार्क ब्याज दर पर स्थिति बनाए रखी लेकिन चेतावनी दी कि अस्थिर और बढ़ती तेल की कीमतें, और वैश्विक वित्तीय स्थितियों को को मजबूत करने से विकास और मुद्रास्फीति के लिए पर्याप्त जोखिम पैदा हो गया है।
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