उर्जित पटेल ने की मोदी सरकार की कड़ी आलोचना, बोले- इस वजह से कार्रवाई से बच रहे बैंक डिफॉल्टर
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने अपनी एक किताब में नरेंद्र मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की है। उर्जित पटेल ने किताब में कहा कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) और केंद्रीय बैंक (आरबीआई) की शक्तियों को कम करने से बैड लोन के खिलाफ साल 2014 में चलाई गई मुहिम को बड़ा झटका लगेगा, इससे आने वाले समय में एनपीए की भरपाई करना मुश्किल हो जाएगा। बता दें कि दिसंबर 2018 में उर्जित पटेल ने आरबीआई के गवर्नर पद से इस्तीफा दिया था।
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'ओवरड्राफ्ट: सेविंग द इंडियन सेवर' नाम कि अपनी किताब में उर्जित पटेल ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट के अप्रैल 2019 के फैसले में केंद्रीय बैंक के फरवरी 2018 के एक दिवसीय डिफॉल्ट रिजोल्यूशन को समस्याग्रस्त नहीं बताया गया था। हालांकि बाद में 7 जून, 2019 को केंद्रीय बैंक के एक सर्कुलर ने उस पहलू को कमजोर बना दिया और दिवालियेपन शासन से जुड़े प्रावधान को भंगुर बना दिया है। पटेल ने अपनी किताब में आगे लिखा है कि कई डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने में देरी हुई, वहीं कई को दिवालियापन अदालतों की कार्रवाई से बचने का मौका मिला।
बता दें कि जिस दौरान उर्जित पटेल आरबीआई के गवर्नर हुआ करते थे उस दौरान फरवरी, 2018 में एक आईबीसी का सर्कुलर आया। इस सर्कुलर में बैंके को निर्देश दिए गए थे कि रिपेमेंट नहीं करने वाले कर्जदारों को तुरंत डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करें, इसके अलावा सर्कुलर के मुताबिक कई डिफॉल्टरों को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में लाया जाना था। इस सर्कुलर के बाद दिसंबर, 2018 में केंद्र सरकार के साथ अनबन होने के बाद उर्जित पटेल ने गवर्नर पद से इस्तीफा दे दिया था। पटेल ने कहा, फरवरी 2018 के सर्कुलर को किनारे किए जाने के बाद दिवालियापन कानून कमजोर बन गया।
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