Budget 2021: जानिए क्या होता है बजट, कैसे आम आदमी पर डालता है असर? आसान भाषा में समझें
Budget 2021: जानिए क्या होता है बजट, कैसे आम आदमी पर डालता है असर? आसान भाषा में समझिए पूरी डिटल
नई दिल्ली। Union Budget 2021-22. मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट( Budget 2021) पेश करने वाली है। 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण( Finance Minsiter Nirmala Sitharaman) संसद में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट ( Union Budget 2021-22) पेश करेंगी। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के बाद इस बजट( Budget) को अहम माना जा रह है। सरकार की ओर से लोगों को बड़ी राहत की उम्मीद है। इस बजट से आम लोगों के जीवन पर असर पड़ता है। ऐसे में इसके बारे में आपके पास जानकारी होनी चाहिए।
क्या होता है बजट
जिस तरह से आप अपन घर का बजट बनाते हैं, ठीक उसी तरह से सरकार भी अपने खर्चें का बजट बनाती है। बजट के जरिए सरकार खर्च का ब्यौरा और आने वाले साल क लिए सरकार द्वारा किए जाने वाले खर्च की जानकारी देती है। सरकार बजट के जरिए देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली घोषणाएं और प्रावधान की जानकारी देती है। सरकर के आम बजट( Union Budget 2020) में आमदनी और खर्च का हिसाब-किताब होता है। आम बजट संविधान के आर्टिकल 112 में एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट का रूप है। इसी के जरिए सरकार अपने आर्थिक नीतियों को दिशा देती है। आम बजट में सभी मंत्रालयों को उनके खर्चों के लिए बजट आवंटन किय जाता है। इसमें नई स्कीम और घोषणाएं की जाती है, जिसका असर आम इंसान पर पड़ता है। कई बार अच्छा तो कई बार य आपके घर क बजट को प्रभावित कर देता है। आइए जानें कैसे बजट आम आदमी को प्रभावित करता है....
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बजट का आम आदमी पर असर
सरकार देश की अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए नई योजनाओं का ऐलान करती है। जिसका असर आम आदमी पर पड़ता है। पिछले आम बजट( Budget 2020) में सरकार ने पुराने टैक्स विवादों को निपटाने के लिए विवाद से विश्वास स्कीम का ऐलान किया, जिसमें टैक्सपेयर्स को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर रकम को जमा कराने की राहत दी गई और जुर्माना और ब्याज माफ किया गया। वहीं बजट में इनकम टैक्स को लेकर सरकार नई दर तय करती है। ये बजट मं तय होता है कि अगले वित्त वर्ष के लिए आपको किस दर से इनकम टैक्स देना होगा। वहीं कितनी इनकम पर छूट मिलेगी। टैक्स की सीमा, टैक्स छूट आदि आम आदमी को प्रभावित करता है।
महंगाई का असर
आम बजट में सरकार एक्साइज ड्यूटी, कस्टम ड्यूटी, इंपोर्ट ड्यूटी, सेस बढ़ाती या घटाती है। इन टैक्सों से रोजमर्रा की चीजों की कीमत निर्धारित होती है। इनका सीधा असर महंगाई पर पड़ता है। ड्यूटीज बढ़ने से मैन्युफैक्चरर्स को प्रोडक्टर्स के उत्पादन की कॉस्टिंग ज्यादा पड़ती है, जिसक असर प्रोडक्ट की कीमत पर पड़ता है। प्रोडक्ट की कीमत बढ़ जाती है। वहीं ड्यूटीज घटने से प्रोडक्ट सस्ता हो जाएगा और कंज्यूमर को कम कीमत देनी पड़ती है। वहीं कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से प्रोडक्टर्स की कीमत बढ़ती है। उसी तरह से अगर रेलवे के माल-भाड़े को लेकर कोई बदलाव किया जाता है तो इसका असर भी आम जनती के जीवन पर पड़ता है। रेलवे का मालभाड़ा शुल्क बढ़ता है, तो किसी भी सामान के ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा बढ़ जाता है, जिसके कारण महंगाई बढ़ जाती है।
अन्य सेक्टर्स को लेकर घोषणाओं का असर
महंगाई क अलावा अन्य सेक्टर्स जैसे शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर की गई घोषणाओं का असर भी आम जनता पर पड़ता है। इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे सड़क, घर, हॉस्पिटल, रेल की पटरी आदि से संबंधित घोषणाएं आम आदमी के जीवन पर असर डालता है।