ऑटो इंडस्ट्री को बड़ा झटका, 31 मार्च के बाद नहीं बिकेंगे BS-4 वाहन
नई दिल्ली। बीएस-4 गाड़ियों की बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में मांग की गई थी कि इन गाड़ियों की बिक्री के लिए 31 मार्च, 2020 के बाद एक महीने का वक्त दिया जाए। लेकिन ऑटोमोबाइल डीलरों के संगठन को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया है। ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोशिएशन का कहना था कि वे तय समयसीमा में बीएस-4 से बीएस-6 नॉर्म्स में शिफ्ट नहीं कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 के अपने फैसले में बीएस-4 वाहन की बिक्री पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोशिएशन ने एक याचिका दायर की थी और कहा था कि उनको 30 अप्रैल, 2020 तक का समय दिया जाए ताकि वे पहले के स्टॉक को बेच सकें। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस याचिका को खारिज करते हुए उनको राहत देने से इनकार कर दिया है।याचिकाकर्ता ने कहा कि ये अर्जी दया याचिका की तरह है, लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
31 मार्च के बाद नहीं बिकेंगे बीएस-4 वाहन
बता दें कि साल 2017 में बीएस-4 नियम देशभर में लागू हुआ था, केंद्र ने कहा था कि देश में बीएस-5 नियमों को अपनाए बगैर 2020 तक बीएस-6 नियमों को लागू किया जाएगा। बीएस यानि भारत स्टेज, एक ऐसा मानक है जिसमें भारत में इंजन से फैलने वाले प्रदूषण को मापा जाता है। इस मानक को भारत सरकार ने तय किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीएस-4 इंजन की गाड़ी 31 मार्च के बाद नहीं बिकेंगे। माना जा रहा है कि स्टॉक खत्म करने के लिए इन गाड़ियों के दामों में कमी की जा सकती है।
ऑटो कंपनियों पर आएगा बड़ा खर्च
ऐसा अनुमान है कि ऑटो कंपनियों, कंपोनेंट मैन्यूफैक्चर्स और ऑयल रिफायनरिज को इस शिफ्ट के लिए बड़ा खर्च उठाना होगा, जो करीब 70 करोड़ से लेकर 90 हजार करोड़ तक होगा। जानकारों का कहना है कि सबसे ज्यादा असर छोटी डीजल कारों की कीमत पर पड़ सकता है। बताया जा रहा है कि डीजल कारों की कीमत 50 हजार से एक लाख तक बढ़ सकती है। इसके पीछे तर्क ये है कि बीएस-4 लेवल के डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर की कीमत करीब एक लाख है। ऐसे में माना जा रहा है कीमतें बढ़ने से डीजल कार की मांग में कमी आ सकती है।