अरे भाई गजब हो गया! अब डीजल-पेट्रोल की टेंशन नहीं, गन्ने के रस से चलेंगी गाडि़यां
लखनऊ के प्रेस क्लब में उन्होंने कहा कि गन्ने से मिलने वाला एथनॉल का उत्पादन न सिर्फ ऊर्जा के अन्य साधनों से सस्ता है, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि नागपुर में एक व मुंबई में दो बसें आ चुकी हैं, जो एथनॉल से चलेंगी। शुक्ला ने कहा कि अभी ईंधन के लिए भारत दूसरे देशों पर निर्भर है। ऐसे में कच्चे तेल के आयात और डीजल पर सब्सिडी देने में सरकार का काफी धन खर्च हो रहा है। पिछले वर्ष सरकार ने आयात पर 75 हजार करोड़ रुपये और डीजल सब्सिडी पर 112 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च की थी।
यह घाटे का सौदा साबित हो रहा है। भविष्य में यह दिक्कत और बढ़ेगी और देश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि एक मिट्रिक टन गन्ने से 75 लीटर एथनॉल का उत्पादन हो सकता है। इससे गन्ने की उपयोगिता बढ़ेगी और आय का स्रोत भी। तब गन्ना किसानों को वाजिब मूल्य देने में दिक्कत नहीं आएगी। देश ईंधन के मामले में आत्मनिर्भर होगा और भविष्य में देश को विदेशी कर्ज के बोझ से मुक्ति मिलेगी।