Share Buyback: शेयर बाजार में करते हैं निवेश तो समझिए क्या होता है बायबैक, निवेशकों को होता है क्या फायदा?
नई दिल्ली। देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी और सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विस(Tata Consultancy Services) ने 16000 करोड़ के बायबैक( Share Buyback) की घोषणा की है। कंपनी ने प्रति शेयर 3000 रुपए के भाव से 5,33,33,333 शेयर्स के बायबैक की घोषणा की है। इस बायबैक योजना के तहत कंपनी करीब 16000 रुपए खर्च करेगी। कंपनी ने अपने मार्केट वैल्यू के 1.55 फीसदी बायबैक पर खर्च करने की तैयारी की है। ऐसे में अगर आप भी शेयर बाजार( Share Market) पर खर्च करते हैं तो जरूर जानिए कि क्या होता है बायबैक, कैसे निवेशकों को पहुंचता है लाभ, क्यों कंपनियां लेती है बायबैक का फैसला?
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क्या होता है शेयर बायबैक ( Share Buyback)
शेयर बायबैक का मतलब है अपने ही शेयर को दोबारा से खरीदना। कंपनी जब अपने ही शेयर को दोबारा निवेशकों से खरीदती है तो इसे बायबैक कहते हैं। यानी अपने ही शेयर को कंपनी निवेशकों से खरीद लेती है। अगर आपासा भाषा में कहे तो यह आईपीओ( IPO) का विपरीत है। इसके लिए कोई निश्चित नियम या निश्चित वक्त नहीं तय किया गया है। कंपनी अपने हिसाब से इसे जब चाहे कर सकती है।
क्यों किया जाता है बायबैक
जब कंपनियों के पास काफी मात्रा में नकदी जमा हो जाता है तो कंपनियां इन नकदी का इस्तेमाल करने के लिए बायबैक की घोषणा करती है। कंपनी की बैलेंसशीट में अतिरिक्त नकदी का होना अच्छा नहीं माना जाता है। माना जाता है कि कंपनी अपनी नकदी का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है। ऐसी स्थिति में बायबैक की घोषणा कर नकदी को कम करने की कोशिश करती है। वहीं कई बार कंपनी को यह लगता है कि उसके शेयर की कीमत कम है, जिसे बढ़ाने के लिए बायबैक किया जाता है। वहीं कई बार कंपनी के ऊपर प्रमोटर की होल्डिंग बढ़ाने के लिए भी बायबैक किया जाता है। जैसे अगर किसी कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत से नीचे है, ऐसे में अगर शेयर बाजार में किसी ने ज्यादा शेयर खरीद लिए और उसके पास प्रमोटर से ज्यादा हिस्सेदारी हो गई तो कंपनी पर प्रमोटर्स को नियंत्रण बनाने में दिक्कत आ सकती है। ऐसे में प्रमोटर्स बायबैक के जरिए बाजार से अपने शेयर को खुद खरीद लेता है। बायबैक के लिए कंपनी को बोर्ड की मंजूरी लेनी होती है।
क्या होता है बायबैक का असर
अगर बायबैक(Share Buyback) के असर की बात करे तो इईससे शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए मौजूद कंपनी के शेयरों की संख्या घट जाती है। वहीं बायबैक से प्रति शेयर आय बढ़ जाती है। कंपनी के शेयर का पीई बढ़ जाता है। हालांकि कंपनी के बिजनेस पर कोई असर नहीं पड़ता। अगर निवेशकों के नजरिए से देखें तो इसमें अदिकांश समय निवेशकों को लाभ ही होता है। निवेशकों को ऊंचे दामों पर अपने शेयर बेचने का मौका मिलता है। इसके लिए तारीख तय होती है, जिसके दौरान ही आप इसका लाभ उठा सकते हैं।