वित्त मंत्री बनीं निर्मला सीतारमण, विरासत में मिली ये 7 चुनौतियां
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नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मोदी सरकार ने शपथ लेने के अगले दिन मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया। मोदी सरकार में पूर्व रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को वित्त मंत्री बनाया गया है। बतौर रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण का प्रदर्शन शानदार रहा, जिसे देखने के बाद मोदी सरकार ने उनके हाथों में देश की अर्थव्यवस्था की कमान सौंप दी है। भले ही निर्मला सीतारमण का कार्यकाल अब तक शानदार रहा हो, लेकिन वित्त मंत्री बनने के साथ ही उन्हें विरासत में कई चुनौतियां भी मिली हैं।
पढ़ें-अब देश का बजट महिला के हाथों में ,निर्मला सीतारमण बनीं वित्त मंत्री
वित्तमंत्री के सामने ये चुनौतियां
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती, रोजगार की कमी, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट,जीडीपी, निवेश और निर्यात को बढ़ाव देने के साथ-साथ वित्तीय सेक्टर में नकदी के संकट को दूर करना बड़ी चुनौती होगी। वित्त मंत्री का पद संभालते ही निर्मला सीतारमण को इन चुनौतियों से पार पाना होगा। आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2018-19 मेंदेश में GDP सिर्फ 6.98 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष की GDP से भी कम है। ऐसे में जीडीपी की वृद्धि को अनुमानित आंकड़े से बढ़ाना उनकी पहली चुनौती होगी।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
निर्मला सीतारमण के सामने अर्थव्यवस्था को सुधारना एक बड़ी चुनौती है। विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती बने रहने की वजह से इस साल मार्च में देश का औद्योगिक उत्पादन पिछले माह की तुलना में 0.1 फीसदी कम रहा है, जो 21 माह का सबसे कमजोर रहा है। नए वित्त मंत्री के सामने अर्थव्यवस्था को गति देना है तो औद्योगिक उत्पादन को फिर से विकास की पटरी पर लाना एक बड़ी चुनौती है।
रोजगार बढ़ाना
मोदी सरकार को लोकसभा चुनाव के दौरान रोजगार के मुद्दे पर विपक्ष ने कई बार घेरा। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उसकी सबसे बड़ी चुनौती रोजगार में बढ़ोतरी लाना है। पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही जो 45 सालों में सबसे ज्यादा है। ऐसे में नए वित्तीय मंत्री के सामने रोजगार में तेजी लाना बड़ी चुनौती होगी।
सरकारी खर्च और खपत में बढ़ोतरी
नए वित्तीय मंत्री के सामने एक बड़ी चुनौती खपत में कमी और निर्यात में मामूली बढ़त है, जिसकी वजह से जीडीपी ग्रोथ पर असर पड़ता है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय निजी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था भी धीमी वृद्धि दर के दौर से गुजर रही है, लेकिन लोगों को नई सरकार से उम्मीदें हैं।
निर्यात में बढ़ोतरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने निर्यात में बढ़ोतरी करना एक चुनौती है। अप्रैल में निर्यात में वृद्धि दर चार महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। अप्रैल में वस्तुओं का निर्यात 26 अरब डॉलर रहा,जिससे व्यापार घाटा पांच महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया
लगातार बढ़ता राजकोषीय घाटा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने राज कोषिय घाटे और कर्ज को कम करना पड़ा चुनौती होगी। वित्तीय वर्ष 2018-19 में टैक्स कलेक्शन कम होने से भारत का राजकोषीय घाटा बजटीय लक्ष्य का 134.2 फीसदी हो गया। वहीं वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा 7.04 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान है, जिसे कम करना वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती होगी। निर्मला सीतारमण के सामने टैक्स कलेक्शन को बढ़ाकर इस घाटे को कम करना बड़ी चुनौती होगी।
कर्ज और नकदी संकट
देश पर लगातार बढ़ रहे कर्ज पर काबू पाना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी। रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी सरकार के कार्यकाल में देश पर कर्ज 49 प्रतिशत बढ़कर 82 लाख करोड़ पहुंच गया है, जिसे कम करना वित्त मंत्री के लिए बड़ी चुनौती साबित होगी। वहीं उनके सामने देश के वित्तीय सेक्टर के सामने बने नकदी संकट को दूर करना एक कठिन परीक्षा साबित होगी। इसके अलावा तेल की कीमतों और बढ़ती महंगाई पर काबू पाना निर्मला सीतारमण के लिए आसान नहीं होगा।